27 मई 2009

जनता ने लगा दी लगाम


आनंद राय , गोरखपुर

पंद्रहवी लोकसभा के चुनाव ने कई प्रतिमान बनाए। बड़ी बड़ी हांकने वालों पर ऐसी लगाम लगाई कि अब शायद कुछ भी कहते और सोचते हुए उनके दिल काँप उठते होंगे। उत्तर प्रदेश के चुनाव पर मेरी नजर थी. लोग सवाल करते थे कि इस बार क्या होगा. कुछ भी दावे जैसी बात नहीं थी लेकिन मन के कोने में यह जरूर था कि इस बार कांग्रेस उठेगी. अपने कई साथियों की दलील सुनता तो लगता कि हो सकता है जो ये कह रहे हैं वही सही हो. फिर कुछ हेर फेर के साथ अपने ही मन की बात ज्यादा प्रभावी लगती थी. जबसे राहुल गांधी ने पूर्वांचल का दौरा शुरू किया है तबसे मैं उन्हें कवर कर रहा हूँ और एक बात हमने देखी कि आम जन मानस के मन में एक सहानुभूति, एक प्यार और अपनापन भरा पडा है. दूसरे पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिले मतों को देखता तो लगता यह पार्टी जरूर लौटेगी. कुशीनगर में आर पी एन सिंह, डुमरियागंज में जगदम्बिका पाल और महराजगंज में कांग्रेस का प्रदर्शन इस बात का प्रमाण था कि लोगों के मन में इस पार्टी के पार्टी कुछ जरूर है. वरना उत्तर प्रदेश में जिस तरह कमजोर संगठन है उसके आधार पर कुछ भी ठीक नहीं हो सकता. मैं बात उन लोगों की करना चाहता हूँ जिन लोगों ने अपने दंभ को पूरे चुनाव भर जनता के बीच उछालने का प्रयास किया. शुरूआत मुलायम सिंह यादव से करना चाहेंगे. कांग्रेस के तालमेल के दिनों में जब कमोवेश सभी नेता इस बात पर सहमत थे कि १५ सीटों पर भी वे समझौते को तैयार हैं तब कांग्रेस सपा के नेताओं के गले नहीं उतर रही थी. अमर सिंह के बयानों ने तो भूचाल जैसी स्थिति ला दी. उन्होंने कांग्रेस प्रभारी को औकात में रहने की नसीहत दे डाली. कांग्रेस के साथ रहकर पूरे पांच साल तक सत्ता का सुख भोगने वाले लालू और पासवान ने तो बिहार में तीन सीटें देने की बात करके और भी ज्यादा उपहास उडाने का काम किया. चुनाव प्रचार में तो सबकी बातें आसमान छूने वाली थी. लालू और पासवान मिलकर कांग्रेस की औकात बता रहे थे तो मुलायम हर सभा में यह जरूर कहते कि केंद्र सरकार चाहे जो बनाए लेकिन उसकी चाभी उन्ही के पास रहेगी. अब लालू, मुलायम कांग्रेस के पीछे दौड़ रहे हैं. जनता ने मुलायम को मुलायम कर दिया है और लालू का लाल पीला रंग उतार दिया है. लालू को तो ऐसी पटखनी दे दी कि अब उनका रंग सफेद पड़ गया है. 1977 से लगातार चुनाव जितने वाले पासवान का भी जनता ने दंभ तोड़ दिया है. और भी बहुत से लोग इस कतर में हैं जिनका भ्रम टूटा है. जनता को जनता की जीत मुबारक हो.चित्र में आडवानी जी को देखकर तो राम जी की पार्टी का हश्र ठीक से समझ में आ जाएगा। भाजपा की भी बोलती बंद हो गयी और उनके भी बड़े बड़े शूरमा धराशायी हो गए।

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत बडिया लिखा है जिन्हें सबक मिला है वो इसी के हकदार थे अब लोग केवल राम भरोसे पर हि नहीं बैठना चाहते वो काम भी चाहते हैं वो लालू के लटके झट्कों से भी उब चुके हैं राहुल एक नयी आशा बन कर उभरे हैं जै हो शुभकामनायें

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