8 नव॰ 2012

घोटालों पर पर्दा

आनन्द राय, लखनऊ

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसआइडीसी) के मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्रा सिर्फ ट्रोनिका सिटी और मनी लांडिं्रग के आरोपों से ही नहीं घिरे हैं, बल्कि सड़कों के निर्माण में संशोधित प्रवेश विधि (एमपीएम) के मद से करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोपी हैं। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि जांच को गति देने के बजाय अफसर मिश्रा के घोटालों पर पर्दा डाल रहे हैं। औद्योगिक विकास विभाग ने नौ अक्टूबर को यूपीएसआइडीसी के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर अरुण मिश्रा द्वारा वर्ष 2008 से 2011 के मध्य एमपीएम मद से किये गये फर्जी भुगतान के संदर्भ में जांच का निर्देश दिया। कहा गया कि मुख्यमंत्री खुद इस मामले पर गंभीर हैं इसलिए प्राथमिकता में जांच कराकर 15 दिनों के भीतर आख्या भेजें। इस निर्देश के बावजूद अब तक जांच शुरू होना तो दूर, उल्टे अरुण मिश्रा को पिकप के प्रबंध निदेशक कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है। यह सब अरुण मिश्रा की पहुंच का कमाल बताया जा रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड इम्प्लाइज यूनियन के प्रांतीय महामंत्री बीके तिवारी ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मिश्रा के काले कारनामों की शिकायत की थी। राज्यपाल ने इस मामले में सम्बंधित विभाग को जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कमेटी कर चुकी है प्रारंभिक जांच : बीते वर्ष यूपीएसआईडीसी इंप्लॉइज यूनियन की शिकायत पर अभियंता दिनेश्र्वर दयाल की अध्यक्षता में बनी कमेटी मामले की प्रारंभिक जांच कर चुकी है। कमेटी ने औद्योगिक क्षेत्र बंथर, रूमा, मंधना, मलवा में आठ करोड़ से अधिक का घोटाला पकड़ा। फैजाबाद में बिना काम कराये 16 करोड़ रुपये भुगतान का मामला भी जांच के दौरान सामने आया। टीम ने देवरिया, जगदीशपुर, उटेलवा औद्योगिक क्षेत्रों में भी एक करोड़ से अधिक के घोटाले पकड़े थे। लेकिन इससे पहले की और क्षेत्रों में जांच होती राजनीतिक दबाव के कारण इसे रोक दिया गया। आरोप है कि वर्ष 2008 से 2010 के बीच मुख्य अभियंता रहते अरुण मिश्रा ने जगदीशपुर, कुर्सी रोड, बस्ती, फैजाबाद, देवरिया, मलवा व अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण में कागज में एमपीएम का कार्य करा करीब एक अरब का घोटाला किया।
 ..तो इस तरह से हुआ एमपीएम घोटाला

यूपीएसआइडीसी में सड़कों के निर्माण का कार्य लोक निर्माण विभाग के मानक के अनुरूप किया जाता है। पीडब्ल्यूडी की सड़कों के निर्माण में मोटाई बढ़ाने के लिए एमपीएम का कार्य नहीं किया जाता है। बावजूद इसके निगम की सड़कों के निर्माण में एमपीएम का प्रावधान कर इस मद में करीब करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया। बीके तिवारी का आरोप है कि एमपीएम का प्रावधान पूरी तरह अवैध है और यह यूपीएसआइडीसी में मान्य नहीं है।


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