आनन्द राय
लखनऊ, 4 दिसंबर 2011 : एनआरएचएम घोटाले की जांच के घेरे में आए ठेकेदार नमित टंडन के आत्महत्या के प्रयास के बाद भले परिवारीजनों ने सीबीआइ पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हों, लेकिन एनआरएचएम की ठेकेदारी में शामिल बड़े लोगों का भी चेहरा उजागर कर दिया है। दरअसल नमित टंडन ठेके में मोहरा मात्र थे। असली ठेकेदारी पीसीएफ के चेयरमैन, एमएलसी रामचंद्र प्रधान की पत्नी की फर्म पर उनके खास सहयोगी आगा रिजवान कर रहे थे। नमित टंडन पर सीबीआइ का दबाव इन सबका नाम उजागर करने के लिए था, लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ मुंह खोलने का खामियाजा टंडन को भी बखूबी मालूम है।
रमा इंटरप्राइजेज के जरिए नमित टंडन ने जननी सुरक्षा योजना के तहत 27 एएनएम केंद्र बनवाने का काम पैक्सफेड से लिया। इस कार्य में श्रेया इंटरप्राइजेज भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार काम दिलाने की भूमिका पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के सबसे करीबी पीसीएफ चेयरमैन और एमएलसी रामचंद्र प्रधान ने निभाई। प्रधान के करीबी आगा रिजवान इसमें माध्यम थे। सूत्रों के मुताबिक 22 फरवरी 2010 से दिसंबर 2010 तक रमा इंटरप्राइजेज के खाते में एक करोड़ रुपये आए और नमित टंडन ने 50 लाख रुपये नकद और 50 लाख रुपये कई लोगों के नाम के चेक के जरिए आगा रिजवान को ही दे दिए। सीबीआइ को खबर मिली है कि पैसे रामचंद्र प्रधान को दिए गए। मामले में नमित टंडन से 28 नवंबर व दो दिसंबर को सीबीआइ ने पूछताछ की तो सबसे बड़ा सवाल श्रेया इंटरप्राइजेज के बारे में उठा, जिसकी प्रोपराइटर प्रधान की पत्नी अनीता प्रधान हैं। चूंकि पैसों का लेन-देन फर्म के नाम पर भी है, इसलिए सीबीआइ इनकी घेरेबंदी के लिए नमित की गवाही चाहती थी, लेकिन नमित टंडन पर प्रधान की फर्म का नाम न लेने का दबाव था। सीबीआइ और सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में नमित परेशान हो गए। फिलहाल वे ट्रामा सेंटर में भर्ती हैं और होश में आने के बाद ही सच सामने आएगा। वैसे जो भी कार्य हुए उसे आगा ने कराया और वर्कआर्डर पर भी नमित टंडन के हस्ताक्षर नहीं हैं।
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