22 अक्तू॰ 2009

सुशील राजपाल ने बढ़ाया गोरखपुर का मान

आनन्द राय, गोरखपुर, 21 अक्टूबर।




'अंत‌र्द्वन्द' को 55वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

      बिहार की एक खास पृष्ठभूमि पर 'नवाब काटेज' के बैनर तले बनी फिल्म 'अंत‌र्द्वन्द' को 55वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला तो गोरखपुर गुलजार हो गया। यहां गोरखनाथ के सिंधी कालोनी से खुशियों की लहर उठी और पूरे शहर में फैल गयी। इस फिल्म के निदेशक और छायाकार सुशील राजपाल के घर से लेकर नवाब काटेज तक कलाप्रेमियों की भीड़ लग गयी। एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला शुरू हुआ तो गर्व के दर्प से चेहरे चमक उठे।
             'अंतर्द्वंद' फिल्म के निदेशक सुशील राजपाल का जन्म 9 अगस्त 1962 को गोरखपुर की सिंधी कालोनी में हुआ। पिता हंसराज राजपाल और मां परमेश्वरी राजपाल ने शुरू में ही बच्चे की हुनर पहचान ली। यहां सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ते हुये कला की ओर सुशील का झुकाव हुआ। फिर वे हंसराज कालेज दिल्ली चले गये। पूना फिल्म इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण लिया और एड फिल्मों से कैरियर की शुरूआत की। यश चोपड़ा की 'लागा चुनरी में दाग' फिल्म से उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा। हर तीसरे माह गोरखपुर आने वाले सुशील राजपाल एक बार यहां नवाब काटेज में अपने मित्र डा. रजनीकांत श्रीवास्तव से बातचीत कर रहे थे। बिहार में अपहरण करके युवाओं की जबरन शादी कराने की बात चल पड़ी तो उन्होंने इस विषय पर फिल्म बनाने की ठानी। डा. रजनीकांत के घर 'नवाब काटेज' के नाम से ही फिल्म का बैनर तैयार किया गया और फिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव में इसकी शूटिंग हुई। सुशील राजपाल की इस फिल्म को 55वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला तो फिर यह खुशी गोरखपुर के गली गली में फैल गयी.
         बुधवार को सुशील राजपाल के बुलावे पर उनके छोटे भाई सुरेन्द्र राजपाल और डा. रजनीकांत समेत बहुत से दोस्त दिल्ली चले गये लेकिन घर पर मां-बाप के अलावा छोटे भाई की पत्नी स्नेहा राजपाल रह गयीं। पिता हंसराज राजपाल और मां परमेश्वरी राजपाल बीमार हैं। दोनों की कूल्हे की हड्डी टूट गयी है। हंसराज तो वाकर से चल पाते हैं। पर इस असीम खुशी ने उनमें अतिरेक उत्साह भर दिया है। बुधवार की सुबह से ही बधाईयों का तांता लग गया। शाम को सवा पांच बजे पूरे परिवार और शुभचिंतकों की निगाह डी.डी. वन पर चिपक गयी। मोबाइल और बेसिक फोन पर बधाई का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। स्नेहा बधाई कबूल करती और सबकी ओर से जवाब देतीं। जब टी.वी. पर सुशील दिखे तो मां-बाप की आंखों में खुशी के आंसू छलक आये। उधर डा. रजनीकांत के नवाब काटेज में भी खुशियों की बहार थी। सुशील की भतीजी सात साल की पाशा राजपाल ने पटाखे छोड़ छोड़कर धूम मचा दिया। उसके तीन साल के भाई वीर राजपाल को भी इस बात का अहसास था कि घर में कुछ नया हुआ है और उसकी खुशी भी देखने लायक थी। पूरी कालोनी, महानगर की कला संस्थायें और सभी लोग खुशहाल थे।


अपने परिवार के प्रति समर्पित हैं सुशील
सुशील राजपाल के बारे में अब बहुत से लोग जान गए हैं लेकिन पिछले कई वर्षों से उनकी हैसियत बड़ी है. पर उनकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वे जमीन से जुड़े हैं. उनके पुराने साथी डाक्टर राजीव केतन बताते हैं कि हर तीसरे माह वे अपने पिता और माँ से मिलने आते हैं. जब गोरखपुर आते तो अपने सभी पुराने दोस्तों को खोजते हैं. उनके भाई की पत्नी स्नेहा राजपाल कहती हैं कि मेरा तीन साल का बेटा वीर राजपाल उनसे इतना घुला मिला है हर पल उन्ही की रट लगाए रहता है. लागा चुनरी में दाग फिल्म बॉक्स आफिस पर हिट थी. पूर्वांचल से जुडी होने के नाते यहाँ दर्शकों की भीड़ लगी थी पर तब बहुत कम लोग जानते थे कि इस फिल्म को सुशील ने अपने कैमरे में कैद किया है. राजीव बताते हैं कि फिल्म को देखकर यश चोपडा बोल पड़े कि- अब तक बनारस को इतने ख़ूबसूरत ढंग से किसी ने अपने कैमरे में कैद नहीं किया.

3 टिप्‍पणियां:

ravishndtv ने कहा…

सुशील राजपाल को बधाई। उनकी फिल्म कैसे देख सकते हैं? इसका भी ब्लॉग प्रबंध किया जाए।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

Anandji ....... saadar

namaskar.......

aaj pehli baar aapke blog ko dekha to bada achcha laga......... Gorakhpur ko vishv patal par laane ka aapka bahut bahut dhanyawaad........

yeh bada achcha laga ki Gorakhpur ke liye blog bana kar aap achcha kaam kar rahe hain..... aap dainik jagran mein hain..... yeh aur bhi achcha laga jaan kar..... Shri. Shailendra Mani ji ko mera namaskar kahiyega.... main bhi Gorakhpur ka hi hoon..... par pichchle 5/6 saalon se Lucknow mein rah raha hoon....

abki baar Gorakhpur aaunga to aapse zaroor miloonga....

saadar

mahfooz....

बेनामी ने कहा…

purvanchal ki maati rang dikha rahi hai, hame avasar chahiye........ham kisi se kam nahin.
jankari dene ke liye badhai!

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