9 अक्तू॰ 2008

रावण की कथा सुनिए


एक चैनल पर रावण राम कथा सुना रहा था. देखा तो दिल बैठने लगा. अब अपना दर्द किससे कहें. रावण वैसे तो हर साल जलता है लेकिन उठकर खड़ा हों जाता है. पर चैनल वाले ने उससे अपनी जान पहचान कुछ ज्यादा ही बढा ली तभी तो वह तैयार हों गया अपने सबसे बडे दुश्मन की गौरवगाथा का बखान करने के लिये. राम वाकई राम हैं. रावण उनकी गाथा बखान कर रहा है तो कुछ गलत नही कह रहा है लेकिन टी वी वाले चैनल की महिमा मुझे कुछ ज्यादा ही न्यारी लगी. अब कोई पूछे कि ऐसा क्या हों गया उससे पहले ही मैं अपनी बात साफ कर दू. असल में एक चैनल ने एम्स के ऊपर एक स्टोरी चलायी. बताया कि जानवरो पर प्रयोग न करके बच्चो पर प्रयोग हो रहा है. बच्चे प्रयोग के चलते अपनी जान गवा रहे है. चैनल ने सलाह दी कि कोई अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए एम्स न जाये. पर दुनिया तो बहुत आगे है. आनन फानन में एक और चैनल खडा हों गया. यह एम्स के पक्ष में था. एक युवक जिसकी छाती की हड्डी टूट गयी थी और वह मौत के करीब था उसे एम्स ने बचा लिया. एक चैनल एम्स के साथ और दूसरा एम्स के विरोध में खडा था. मैं तो एक क्षण के लिए यह मान भी लिया कि रावण राम की कथा सुनाये तो क्या हर्ज है लेकिन असमंजस इस बात का था कि किस चैनल की बात मानू. यह मेरे लिए पहला असमन्जस नही था. ऐसा तो जब भी टी वी खोलते हैं असमंजस हों ही जाता है. कई बार जब दुर्घटनाएँ होती है तो मरने वालो की संख्या को लेकर असमंजस हों जाता है. सबकी संख्या अलग अलग होती है. सच तो कोई एक होगा लेकिन किस्से सबके अलग होते हैं. मीडिया का होने के नाते कई बार मुझसे लोग सवाल करते हैं पर क्या जवाब दूँ. कोई जवाब है भी तो नही.

1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बिल्कुल सार्थक पोस्ट लिखी है।आज यही सब नजर आता है।

..............................
Bookmark and Share