6 मार्च 2008

एक अच्छे प्रयास से मिट जायेगी बुराई


प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउन्ट आबू कई बार गया हूँ। मूल्यनिष्ठ मीडिया की स्थापना के लिए यह रूहानी संस्थान सक्रिय है। प्रोफेसर कमल दीछित ने मुझे वहाँ की राह दिखायी। शांतनु जी और कोमल भाई ने रिश्ते को और मजबूती दी। यहाँ गोरखपुर में बहन पुष्पा और शिवेश्वर भाई अक्सर कोई न कोई आयोजन करते रहते हैं। शिवरात्री के पर्व पर एक आयोजन हुआ। रास्ट्रीय सहारा के मैनेजर पीयूष बंका और आज के पूर्व सम्पादक रत्नाकर सिंह आयोजन में शामिल हुए। दुनिया में शान्ति कैसे आये इसी मसले को लेकर बहस चलती रही। धर्म और आध्यत्म में उलझे लोग बहस में और भी उलझते रहे। भगवन शिव ने दुनिया को कैसे नई राह दिखाई। ख़ुद विष पीकर सबको अमृत पीने के लिए छोड़ दिया। नीलकंठ भगवन शिव के आदर्शों पर दुनिया चले। तय हुआ की अच्छी चीजें कहीं जाय। अच्छी चीजें लिखी जाय और अच्छी चीजें सुनी जाय। रचना और निर्माण से दुनिया की दिशा बदली जा सकती है। एक उदाहरण आया- एक बार किसी पूजा में तय हुआ की प्रसाद के लिए सभी लोग अपने अपने घर से एक एक गिलास दूध लेकर आयेंगे। पूरे मुहल्ले के लोगों ने सोचा के जब सब लोग दूध लेकर जायेंगे ही तो एक अकेले हमारे न ले जाने से क्या नुकसान हो जायेगा। यही सबकी सोच बन गई। अपने अपने घर से लोग गिलास तो ले गए लेकिन उसमें दूध की जगह पानी था। पात्र पानी से भर गया। एक छोटी बच्ची अपने लिए पीने वाले दूध को लेकर वहाँ गई। वह छोटी थी इसलिए बड़े पात्र में दूध डालने के लिए उसने स्टूल का सहारा लिया। बच्ची ने देखा पूरा पात्र पानी से भरा है। खैर वह तो संकल्प लेकर गई थी, उसने अपना दूध पात्र में दाल दिया और लोगों की हालत सोच कर उदास हो गई। पुजारी ने उसकी उदासी देखी और कारन पूछा। बच्ची ने पात्र में पानी की बात बताई। पुजारी ने उसे अपने कंधे पर उठा लिया और पात्र तक ले गए। बच्ची से पूछे पात्र में क्या है! सिर्फ़ एक गिलास दूध से पात्र का भरा पानी दूध हो गया था। पुजारी ने बच्ची को समझाया की एक अच्छे प्रयास से सभी बुराइयां मिट सकती हैं। मैं सिर्फ़ यही सोचकर लौटा हूँ की हर मोड़ पर अच्छा किया जाय। बुराइयां अपने आप मिट जायेंगी।

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