20 फ़र॰ 2008

दुःख को सहने की शक्ति दे भगवान्


अमर सिंह के पिता ठाकुर हरिश्चंद सिंह नही रहे। भगवान् उनकी आत्मा को शान्ति देन और शोकाकुल परिवार को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। सियासत में अमर सिंह को लेकर चाहे जितनी बातें हों पर व्यक्तिगत जीवन में वे बहुत भावुक हैं। जिनसे उनका रिश्ता है उनके लिए वे नफा नुकसान नही सोचते। एक फ़िल्म मैंने देखी थी कार्पोरेट। इसमे आख़िरी बात यही थी कि कार्पोरेट सेक्टर में संवेदना का कोई मतलब नही होता। अमर सिंह इसी सेक्टर में रहते हुए बहुत ही संवेदन शील हैं। अपने लोंगों के घर चाहे गमी हो या फिर उत्सव वे पूरे उत्साह के साथ शामिल होते हैं। हरिवंश रे बच्चन के निधन पर उन्हें जितना शोकाकुल देखा उतना ही वे रामप्यारे सिंह के मौत पर भी दुखी थे। राम प्यारे सिंह मंत्री रहते हुए बीमार पडे। दिली में उनके लिए अमर सिंह ने कोई कोर कसर नही छोडी। अमर सिंह के पिता जी आजमगढ़ से जाकर अपनी पहचान बनाए और उनके पुत्र अमर सिंह ने पिता का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया। अमर सिंह साहित्य में गहरी दिलचस्पी लेते हैं और उनके खूब शेरो-शायरी याद है। संकट के इस छड़ में उन्हें साहित्य से एक ताकत मिलेगी। दुःख को सहने की भगवन उन्हें खूब शक्ति देन।

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