1 मार्च 2012

मैं इतना स्वार्थी भी नहीं हूं कि सिर्फ अपने लिए सोचूं

बाबू सिंह कुशवाहा


एक समय था जब बाबू सिंह कुशवाहा बसपा प्रमुख मायावती के गिने चुने राजदारों में शुमार होते थे। एनआरएचएम में जब हत्याओं का दौर शुरू हुआ तो खून की छीटे बाबू सिंह कुशवाहा के भी दामन पर आए लेकिन तब बसपा और पूरी सरकार उनके बचाव में खड़ी हुई। भले ही उनका मंत्री पद चला गया था लेकिन सत्ता के गलियारों में उनकी हनक और धमक खत्म नहीं हुई लेकिन न जाने अचानक ऐसा क्या हुआ कि बसपा के अंदर ही बाबू सिंह कुशवाहा अपने को असुरक्षित महसूस करने लगे और नौबत यहां तक आ गई कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर यह कहना पड़ा कि कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर और प्रमुख सचिव गृह फतेहबहादुर उनकी हत्या करा देना चाहते हैं। उसके बाद उन्हें बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कुछ समय तक उनकी कांग्रेस के साथ खिचड़ी पकी लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया। वह आज कल भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने अपने दिल की बात रखी है। प्रस्तुत है आनन्द राय के साथ हुई उनकी बातचीत के प्रमुख अंश :

0बसपा से आपका मोहभंग क्यों हो गया?


- मेरे खिलाफ तमाम षडयंत्र हुए और मैं चुप रहा। 28 नवंबर को मुझे बसपा से बाहर कर दिया गया तो भी खामोश रहा। लेकिन जब हद हो गयी.... (फिर खामोश हो जाते हैं)

0 क्या हद हो गयी ?

- मेरे खिलाफ बड़ी साजिशें हुई। अचानक बांदा में मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया और जिसने मुकदमा किया उसकी सुरक्षा बढ़ाई गयी। उसे टिकट दिया गया। मेरे लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराकर मुझे तहस-नहस करने की कोशिश की गई।

0यह सब क्यों किया गया!
- मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर और प्रमुख सचिव गृह फतेहबहादुर मेरी हत्या की साजिश में लगे थे। मुकदमे इसलिए दर्ज करवाए जा रहे थे कि जेल भेजकर वहां मेरी हत्या करा दी जाए। इसकी तैयारी हो चुकी थी।

0 क्या इसी खौफ और सीबीआइ की डर से आप कांग्रेस में जाना चाह रहे थे?

- यह तो अफवाह है। सीबीआइ जांच से बचने के लिए बसपा ने आठ साल से कांग्रेस को समर्थन दिया है। यह कौन नहीं जानता है। मैं तो यह भी जानता हूं कि बसपा ने किसको बचाने के लिए कब किससे समझौता किया है।

0राहुल गांधी से तो आपकी मुलाकात हुई?

-राहुल से मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई।

0 तो क्या वह गलत बोल रहे हैं?

- मैं यह कैसे कह सकता हूं। वह बड़े नेता हैं, लेकिन मेरी उनसे मुलाकात नहीं हुई, यही सच है।

0भाजपा वालों ने आपसे सम्पर्क किया था या आपने किया था?

- ओबीसी के आरक्षण की कटौती के खिलाफ भाजपा पिछड़ों के साथ थी, इसलिए हम उसके साथ हो गए। सपा और बसपा तो कांग्रेस के पक्ष में थीं और एक बार भी विरोध में जुबान नहीं खोली। यह दोनों दल सही मायने में पिछड़ों के विरोधी हैं।

0लेकिन भाजपा विपक्ष के दबाव में आ गई और आपकी सदस्यता भी स्थगित हो गई?

- विपक्ष नहीं, मीडिया ने मेरा इतना बाजा बजा दिया कि .. और मैं इतना स्वार्थी भी नहीं हूं कि सिर्फ अपने लिए सोचूं।

0तो फिर इतना त्याग मायावती के साथ क्यों नहीं किए?

- मुझे तीखा बोलने पर मजबूर न करें। मुझे बसपा अध्यक्ष के चरित्र की नहीं, अपनी चिंता है। 20 साल किसी के साथ रहा हूं तो सोचता हूं कि ऐसी बात न निकले जिससे मुझे पछतावा हो। लेकिन 20 साल की वफादारी की उन लोगों ने कोई कीमत नहीं समझी। मेरी पीठ में छुरा घोंप दिया।

0एनआरएचएम घोटाले में तो आपके खिलाफ सीबीआइ के पास सबूत हैं?

-पहले यह जानकारी करिए कि वाकई घोटाला कहां हुआ। एनआरएचएम के प्रोसीजर मिस्टेक को जानिए। इसमें मंत्री की कोई भूमिका नहीं होती। मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष हैं और सभी फैसले उनकी अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में होते हैं। उनकी अनुपस्थिति में विभागीय मंत्री को अध्यक्षता करनी होती है। पौने दो साल के कार्यकाल में मुझे तो कभी अवसर ही नहीं मिला। मेरा इस घोटाले से कोई लेना देना नहीं है।

0फिर आपके खिलाफ सीबीआइ का मुकदमा और बार-बार पूछताछ?

- देखिए यह तो शशांक शेखर और फतेहबहादुर ने पूरा होमवर्क किया। इन्हीं लोगों ने सारी पीआइएल कराई। सभी पेपरवर्क ऐसे कराया, जिससे मैसेज जाए कि कुछ गड़बड़ है। इसमें नीता चौधरी ने भी उन लोगों का साथ दिया। यह लोग तो मुझे सचान मामले में जेल भेजने की तैयारी कर चुके थे। (यह बताते हुए कुशवाहा रोने लगे) .... वे लोग अभी भी मेरी हत्या की साजिश कर रहे हैं।

0दो-दो सीएमओ की हत्याएं? इसकी वजह?

-यह तो मुझे फंसाने और बदनाम करने का षड्यंत्र रहा। कुछ बड़े लोगों का नाम नहीं लेना चाहूंगा, लेकिन हत्याएं इसीलिए कराई गई कि मैं बदनाम हो जाऊं।

0 कहा जाता है कि बसपा सरकार में कोई काम बगैर पैसे के नहीं होता?

(अनमना होकर) दूसरा सवाल पूछिए।

0 लेकिन यह तो बता सकते हैं कि सरकार में पैसों के लेन-देन में कौन लोग शामिल रहते हैं?

बहुत सारी चीजें कहने की नहीं होती हैं। कौन सी ऐसी चीज है जो मीडिया से छिपी है।






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