1 मार्च 2012

लखीमपुर खीरी में सियासी गूंज

आनन्द राय


पड़ोसी देश नेपाल की सरहद से सटे लखीमपुर खीरी जिले का भौगोलिक दायरा काफी बड़ा है, लेकिन इसके सापेक्ष जिले में सियासी गूंज नहीं सुनाई पड़ती। दल और पसंद का उम्मीदवार जाहिर करने में यहां के मतदाता भी औरों की तरह ही है। सलेमपुर पालिटेक्निक के सामने सीमेंट की दुकान चला रहे संजय से हवा का रुख पूछने पर कोई साफ जवाब नहीं मिलता है। बस टालमटोल और सभी की जय-जय। चतुराई भरे इस अंदाज से कोई कयास लगाए भी तो क्या। लेकिन यहां निर्दल चुनाव लड़ रहे अन्ना आंदोलन के सिपाही, राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी और वाइडी कालेज के प्रवक्ता डाक्टर योगेश कुमार से जब कुछ लोग उनकी जाति और क्षेत्र पूछते हैं तो लगता है कि यहां भी जाति की कसौटी पर ही सियासी सूरमा परखे जा रहे हैं।

साहित्यकार डाक्टर सत्येन्द्र दुबे कहते हैं कि जनता माशाअल्लाह है। पांच साल मुद्दों की बात करती है, लेकिन नेता पता नहीं क्या डमरू बजा देते हैं कि चुनाव में जातियों की बात सुनाई पड़ने लगती है। जिले में ब्रांाणों की अच्छी संख्या है, लेकिन सबसे प्रभावशाली कुर्मी बिरादरी है। इस बिरादरी को सहेजने के लिए सभी दलों के बड़े नेता भावनाओं की लहर चला चुके हैं। वैसे चुनावी नतीजों का रुख मोड़ने के लिए दलितों की खासी तादाद भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। सिख, यादव, कुशवाहा, कहांर समेत कई और जातियां हैं। मुसलमान वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं। राजनीति विज्ञान के शिक्षक डाक्टर एससी मिश्र जातियों की सियासत पर दुख प्रकट करते हुए कहते हैं कि अगर ऐसा नहीं रहता तो वर्षो से यह जिला रेल की बड़ी लाइन के लिए नहीं तरसता। लखीमपुर में शारदा और घाघरा नदी की बाढ़ तथा उजड़ते चीनी उद्योग जैसे बुनियादी मसले वजूद में हैं, लेकिन इन पर आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

पिछले चुनाव तक इस जिले में सात विधानसभा क्षेत्र थे जो परिसीमन में बढ़कर आठ हो गये हैं। निघासन, श्रीनगर सुरक्षित, मोहम्मदी, कस्ता सुरक्षित, पलिया, लखीमपुर, गोला और धौरहरा। इनमें तीन सीटें धौरहरा, मोहम्मदी और कस्ता सुरक्षित केन्द्र सरकार के राज्यमंत्री कुंवर जितिन प्रसाद के संसदीय क्षेत्र में पड़ती हैं। कुंवर जितिन की साख इस चुनावी कसौटी पर है। बाकी पांच सीटें कांग्रेस सांसद जफर अली नकवी के क्षेत्र की हैं। पिछली बार सात सीटों में चार सीटों पर काबिज रही समाजवादी पार्टी अबकी जनाक्रोश को वोट में बदलने की मुहिम में जुटी है और वह अपना आंकड़ा बढ़ाने की जंग लड़ रही है। सपा जिलाध्यक्ष शशांक यादव कहते हैं कि इस बार हमारी सीटें बढ़ेगी। यहां पिछली बार दो सीट बसपा को और एक भाजपा को मिली थी।

मोहम्मदी : धौरहरा से बसपा से जीते बाला प्रसाद अवस्थी अबकी मोहम्मदी में चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट पहले सुरक्षित थी। भाजपा के लोकेन्द्र प्रताप सिंह, कांग्रेस के अशफाकउल्लाह खान और सपा के इमरान खान भी यहां पर अपना कब्जा करने में लगे हैं। मोहम्मदी में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं कृष्णाराज अबकी नई बनी कस्ता सुरक्षित सीट पर आ गयीं। कस्ता में प्रभावशाली पासी नेत्री कृष्णाराज के सामने सौरभ सिंह सोनू हैं, लेकिन प्रतिष्ठा उनके पिता बसपा के जोनल कोआर्डिनेटर जुगल किशोर की ही दांव पर लगी है। यहां कुर्मी, कुशवाहा, लोध, पासी और सवर्णो को भाजपा कृष्णा राज के पक्ष में करने में जुटी है, जबकि जुगल किशोर ने भी प्रतिष्ठा बचाने को पूरी ताकत लगा दी है। यहां पर कांग्रेस से पूर्व मंत्री वंशीधर राज और सपा से सुनील भार्गव तस्वीर बदलने में जुटे हैं। ज्यादातर लोग यही कहते हैं कि सभी कृष्णाराज से ही लड़ रहे हैं। इलाके में दौरा कर रहे भाजपा के प्रदेश मंत्री दयाशंकर सिंह दावा करते हैं कि भाजपा कई सीटें जीत रही है।

निघासन : श्रीनगर से सपा से जीते आरए

उस्मानी निघासन से तकदीर आजमा रहे हैं। निघासन क्षेत्र ने लखीमपुर को सुर्खियों में ला दिया था। यहां की एक नाबालिग मुस्लिम बालिका सोनम के साथ थाने में सिपाहियों ने दुराचार कर उसकी हत्या कर दी। दो दिन पूर्व निघासन पहंुचे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सोनम के मुद्दे को हवा दे गये हैं। निघासन में भाजपा से अजय मिश्रा, कांग्रेस ने अजय वर्मा और बसपा से दारोगा सिंह संघर्ष में हैं। श्रीनगर के सुरक्षित हो जाने के बाद पैला से बसपा से जीते राजेश गौतम पीस पार्टी के सिंबल पर मैदान में हैं। सपा से पूर्व विधायक रामसरन हैं, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री मायावती उर्फ माया प्रसाद पर दांव लगाया है। श्रीनगर में बसपा हराओ अभियान में सभी दल जुटे हैं। सुरक्षित सीट होने की वजह से सवर्ण मतदाताओं के बूते भाजपा उम्मीदवार मंजू त्यागी हवा बनाने में जुटी हैं। पीस पार्टी से एक और दावेदार राजाराम ने राजेश के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। पीस पार्टी की तेजी की वजह से हिन्दू मतों का ध्रुवीकरण हा रहा है। जहां मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को भुनाने की कोशिश सपा कर रही है, वहीं इसी मुद्दे पर भाजपा पिछड़ों को प्रभावी ढंग से गोलबंद कर रही है।

लखीमपुर में उप चुनाव में जीते उत्कर्ष वर्मा फिर सपा के उम्मीदवार हैं। यहां बसपा से नगर पालिका अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश वाजपेयी, कांग्रेस से राघवेन्द्र सिंह और भाजपा से विनोद मिश्र अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगे हैं।

गोला में कई बार सपा के टिकट पर जीते अरविन्द गिरी अबकी कांग्रेस उम्मीदवार हैं। उनके सामने सपा ने विनय तिवारी, बसपा ने हरदोई जिले के विधायक दाऊद अहमद की पत्नी सिम्मी बानो और भाजपा से ईश्र्वरदीन मुकाबले में हैं।

पलिया में भाजपा ने पूर्व मंत्री रामकुमार वर्मा और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री विनोद तिवारी को आमने सामने कर लड़ाई तेज कर दी है, लेकिन किसान नेता बीएम सिंह ने तृणमूल कांग्रेस से यहां ताल ठोंककर सबको पशोपेश में डाल दिया है। बसपा से रोमी साहनी मैदान में हैं। धौरहरा में सपा से पूर्व विधायक यशपाल चौधरी, कांग्रेस से समरप्रताप सिंह, भाजपा से विनोद अवस्थी और बसपा से शमशेर बहादुर मैदान में लड़ रहे हैं। इस सीट पर कुंवर जितिन प्रसाद की सर्वाधिक दिलचस्पी दिख रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:

..............................
Bookmark and Share