गोरखपुर। बड़बोले माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव और उसके गुर्गो की जान खतरे में है। ये लोग नेपाली माफियाओं की आंख की किरकिरी हो गये हैं। इनकी हस्ती मिटाने के लिए अण्डरवर्ल्ड में 'बोली' लगनी शुरू हो गयी है। बबलू की पेशी के दौरान कभी भी यह 'बोली' 'गोली' में तब्दील हो सकती है। खुफिया एजेंसियों ने भी सरकार और सुरक्षा तंत्र को इससे अवगत करा दिया है।
काठमाण्डू में 7 फरवरी को मारे गये मीडिया किंग और दाऊद के खास जमीम शाह की हत्या का इल्जाम बरेली जेल में बंद डान बबलू और उसके साथियों पर है। इसके पहले भी मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या से लेकर फजलूर्रहमान की गिरफ्तारी तक कई मामलों में बबलू का नाम उछलता रहा है। बबलू ने हमेशा फोन के जरिये एक-दूसरे गैंग से तार जोड़ने की भूमिका निभायी है। वह कुछ खास पुलिसकर्मियों का मददगार है। लंबी रकम लेकर आईएसआई के इशारे पर काम करने वालों की हत्या में भी सक्रिय है। इसीलिए पाक दूतावास के एक अफसर, जमीम के रिश्तेदार और आईएसआई परस्त कई बड़े माफिया बबलू का विकेट गिराने की योजना बना रहे हैं। उधर भारतीय फेक करेंसी के साथ पकड़ा गया नेपाल के पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी का पुत्र यूनुस अंसारी भी बबलू से खफा है।
यूनुस ने अपने साइलेंट प्रतिद्वंदी जमीम शाह को निपटाने की डील एक करोड़ रुपये में बबलू से की थी। बबलू के चलते ही इस डील को अमलीजामा पहनाया जा सका। यूनुस के लोगों को शक है कि जमीम की हत्या के बाद खुद बड़बोले बबलू ने ही यह राज जाहिर कर दिया। अण्डरवर्ल्ड की सूचना के मुताबिक अब खुद को सच्चा साबित करने के लिए यूनुस कोई भी जोखिम उठाने को तैयार है। बबलू को निपटाने में वह उन भारतीय अपराधियों की मदद ले सकता है जिन्हें समय समय पर पनाह देता रहा है।
जमीम के खून के छींटे धोना चाहता यूनुस
यूनुस अंसारी ने सोचा था कि जमीम शाह की हत्या से उसकी राह का कांटा निकल जायेगा लेकिन हुआ ठीक उल्टा। एक तरफ उसकी मुश्किलें बढ़ीं तो दूसरी तरफ वह अपने ही लोगों की निगाह में दागी हो गया। इससे न सिर्फ उसकी ताकत कमजोर हुई बल्कि अपने सहयोगियों का भी निशाना बन गया। पाक दूतावास इस मामले पर पर्दा डालते हुये अपने सभी सहयोगियों को एक साथ रखने की मुहिम में जुटा है। काठमाण्डू सेंट्रल जेल में बंद यूनुस इस मुहिम में सक्रिय होकर जमीम के खून के छींटों को धोना चाहता है।
यूनुस को बचाने में जुटी नेपाल पुलिस
गोरखपुर, 16 फरवरी। नेपाल के मीडिया किंग और दाऊद इब्राहिम के सहयोगी जमीम शाह की हत्या के हफ्ते भर बाद पुलिस ने रहस्य से पर्दा उठाने का दावा कर दिया है लेकिन इस पूरे घटना क्रम में वह यूनुस अंसारी को बचाने में जुट गयी है। नेपाल पुलिस अपने यहां के कुछ लोगों का नाम जोड़कर सिर्फ भारतीय अपराधियों के नाम की लकीर पीट रही है। बबलू श्रीवास्तव, भगवंत सिंह उर्फ भरत नेपाली, दीपक शाही उर्फ बबलू सिंह और छोटा राजन का कनेक्शन जोड़कर पुलिस ने कमोवेश जमीम शाह मर्डर केस की तफ्तीश पूरी कर दी है।
नेपाल के एआईजी कदम खड़का ने मीडिया के समक्ष शाह मर्डर केस की फाइल खोलते हुये बबलू श्रीवास्तव और भरत नेपाली को कसूरवार ठहराया। इस मामले में नेपाल के पुलिस कर्मी प्रकाश क्षेत्री को संदिग्ध करार दिया जबकि घटना में छह अन्य नेपालियों की भी संलिप्तता बतायी। शूटर के तौर पर मोहम्मद वकार और उसके साथी का नाम उजागर हुआ। जमीम की हत्या के तत्काल बाद दैनिक जागरण ने अपनी रपट में यह आशंका जाहिर की कि वर्चस्व की लड़ाई और अपनी गिरफ्तारी के शक के चलते पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी के बेटे यूनुस अंसारी ने जमीम का खेल खत्म करा दिया। अगले दिन दस फरवरी के अंक में 'यूनुस व भरत के संबंध तलाश रही पुलिस' शीर्षक से बबलू श्रीवास्तव, भरत नेपाली और यूनुस अंसारी के कनेक्शन जोड़ते हुये एक और खबर प्रकाशित की जिसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया कि यूनुस को बचाने में पुलिस सक्रिय हो गयी है।
प्रारंभ में नेपाल पुलिस ने अपनी तफ्तीश के केन्द्र में यूनुस को रखा और काठमाण्डू सेण्ट्रल जेल में उससे कई च्रकों में पूछताछ की। बाद में पुलिस ने यह तर्क गढ़ा कि हत्यारे पहले यूनुस अंसारी पर ही हमला बोलने वाले थे लेकिन उसके जेल जाने के बाद इरादा बदल दिये और निशाने पर जमीम आ गये। सूत्रों का कहना है कि भगोड़े सैनिक भरत नेपाली और बदायूं के दीपक शाही की आमदरफ्त बबलू श्रीवास्तव के जरिये यूनुस से रही है। घटना की पृष्ठभूमि तैयार करने में इनकी भूमिका भले रही हो लेकिन पुलिस कर्मी प्रकाश क्षेत्री और शूटर मोहम्मद वकार से यूनुस के संबंधों पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है। दरअसल नेपाल पुलिस इण्टरनल गैंगवार रोकने के लिए पूरा मामला भारतीय अपराधियों के हवाले कर रही है। इस हाई प्रोफाइल मर्डर मिस्ट्री में नेपाल के कुछ और प्रमुख लोगों की भूमिका है। वैसे इस मामले में वाराणसी जेल में बंद एक व्यक्ति पर भी नेपाल पुलिस शक की निगाह लगाये है।
यूनुस व भरत के रिश्तों का सिरा तलाश रही पुलिस
गोरखपुर। स्पेस टाइम्स ग्रुप के प्रबंध निदेशक जमीम शाह की हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटी नेपाल पुलिस पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी के बेटे यूनुस अंसारी और भरत नेपाली के बीच तालमेल की जड़ तलाश रही है। भरत नेपाली द्वारा जमीम शाह की हत्या की जिम्मेदारी लिये जाने के बाद ही पुलिस की तफ्तीश में कई नये आयाम जुड़ गए हैं। बरेली जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव के रिश्तों पर भी पुलिस की नजर है।
छोटा राजन गैंग के महत्वपूर्ण अंग रहे भरत नेपाली ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि जमीम की हत्या उसने करवायी है। पुलिस मान रही है इस हत्या में कई चैनल शामिल हैं।
29 जून 1998 को मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या, छह अक्टूबर 2009 को नेपालगंज में डॉन माजिद मनिहार की हत्या और 25 दिसम्बर को बुटवल में परवेज टांडा की हत्या की कड़ी में ही पुलिस जमीम की हत्या को भी जोड़ रही है। ये सभी आईएसआई और दाऊद के मोहरे रहे, इसलिए इनकी हत्या के तार कहीं न कहीं भारतीय अपराध जगत से जुड़ गये। वैसे नेपाल पुलिस की सबसे चौकस निगाह भारतीय जाली करेंसी के साथ पकड़े गये आईएसआईपरस्त यूनुस अंसारी पर ही है। इस खेल में यूनुस और भरत की भूमिका कहां तक हो सकती है इसके लिए अंडरवर्ल्ड के कुछ नामी मोहरों से उनके कनेक्शन की जांच हो रही है। केंद्र में बबलू श्रीवास्तव का भी नाम उभरकर सामने आया है। जगजाहिर है कि छोटा राजन, बबलू श्रीवास्तव और भरत नेपाली के बीच बेहतर रिश्ते रहे हैं। मुम्बई बम विस्फोट के बाद दाऊद और छोटा राजन के बीच तनातनी बढ़ी तो बबलू छोटा राजन खेमे में आ गया। तब भी सलीम मियां से उसके सम्पर्क बने रहे। अपने अधूरा ख्वाब उपन्यास में भी उसने सलीम का जिक्र किया है।
पुलिस इस बात को मान रही है कि इधर, जबसे यूनुस अंसारी पकड़ा गया तबसे वह शक के कारण जमीम से खार खाये था। माना जा रहा है कि जमीम शाह और उसकी प्रतिद्वंदिता का लाभ उठाते हुए जेल में बंद बबलू ने यूनुस अंसारी की मंशा को हवा देकर डील करायी और जमीम का खेल खत्म हो गया।
1 टिप्पणी:
aapka mere blop par swagat hai, sir
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