12 जन॰ 2010

जोर-जुल्म के टक्कर में नजीर बनी जानकी


आनन्द राय, गोरखपुर
 जिंदगी के कठोर अनुभवों में पक कर जानकी बज्र हो गयी है। जोर जुल्म के खिलाफ वह प्रतिरोध की एक नजीर है। किसी निर्बल और असहाय के समर्थन में अपनी सेना लेकर खड़ी होती तो दबंग उससे थर्रा उठते हैं। वर्ष 2005 में उसका नाम नोबल पुरस्कार के लिए नामित हुआ। पुरस्कार तो नहीं मिला लेकिन उसकी सेवा और सहयोग की रफ्तार बढ़ गयी।
    भटहट ब्लाक का ताजपिपरा गांव 55 साल की जानकी की वजह से सुर्खियों में है। महज 10 साल की उम्र में अपने से काफी बड़े इसी गांव के रामदुलारे यादव के साथ उसकी डोली उठी। पिया के घर आयी तो छोटी उम्र के सभी बड़े सपने बिखर गये। घर के अंदर उत्पीड़न बढ़ गया। लोक लाज के डर से वह सब कुछ सहती रही। पर एक दिन जब डी.एम. की गाड़ी से उसके पति का एक्सीडेंट हो गया तो चण्डी बन गयी। तबके जिलाधिकारी को इलाज का खर्च उठाना पड़ा और पति को नौकरी भी देनी पड़ी। जिलाधिकारी के तबादले के बाद पति की नौकरी छूट गयी। तब जानकी को लगा कि पढ़ा लिखा न होने की वजह से वह छली गयी।
    उसने पढ़ने का संकल्प लिया। वर्ष 1998 में वह महिला समाख्या से जुड़कर पढ़ना लिखना सीख गयी। उसके ज्ञान,हुनर और तेवर को देखकर पंचायत कोर टीम और महासंघ में शामिल किया गया। यहीं से उसकी आंखों में गांव और समाज के विकास का सपना चमक उठा। कई गांवों की महिलाओं को जुटाकर बुन्देलखण्ड के गुलाबी गैंग की तरह उसने भी अपनी सेना खड़ी कर ली। जब भी किसी असहाय पर मुसीबत आयी तो लाठियों से लैस होकर वह मौके पर पहुंच गयी। उसके जज्बे की लकीर तुलसीदेऊर, जमुनिया, खैराबाद, पिपराइच, भटहट, रामपुर आदि गांवों में खिंची है। तुलसीदेउर में 15 साल से एक दबंग ने रास्ता रोक दिया था। जानकी की सेना पहंुची तो रास्ता खाली हो गया। जो दबंग अपने कमजोर पट्टीदारों का उत्पीड़न कर रहा था उसे जेल भी भिजवा दिया। दूसरे गांवों में भी ऐसा ही हुआ। खैराबाद का बी.ए. पास लड़का शादी का झांसा देकर एक अनपढ़ गरीब लड़की से खेलता रहा। यह बात पता चली तो उसने भरे समाज में लड़के को शादी के लिए मजबूर कर दिया।

    गांव गांव में उसने साक्षरता की ज्योति जला दी। विधवा विवाह कराया। सामूहिक खेती की अलख जगायी। नरेगा में नाइंसाफी की मुखालिफत कर रही है। सेना के अवकाशप्राप्त नायक नागर चौरसिया कहते हैं कि इतना तेवर तो हमने जवानों में भी नहीं देखा। जानकी के पति के साथ बड़ा बेटा राजनाथ भी विकलांग है। बेटी मीरा को ब्याह दिया और दूसरा बेटा बृजनाथ अपनी पत्नी और छोटे भाई शेषनाथ के साथ लुधियाना में रहता है। जानकी इस समय नारी अदालत कानून कोर टीम की सदस्य है। किसी के साथ कोई अन्याय न करे, यही उसका संदेश है।

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

is mahila ko samman aur sahyog ki jaroorat hai. please aage aaiye..

Unknown ने कहा…

jor julm ke khilaf aavaaj uthaane vaalon kaa sarvjanik abhinandan honaa chahiye. ye mahilaa samaakhyaa ke log bhi sirf sarkaari dhan ko khaate hain. sarkaar to vaise hi udaas hai. samaaj ke log jaanki ke baare men jaan gaye hain. uskaa hauslaa badhaane ke liye jaroor aage aayenge.

बेनामी ने कहा…

hi

can anyone help me
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thanks
Neubsefskes

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