8 मई 2009

स्कूल तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में


आनंद राय, गोरखपुर

व्यवस्था की चूक पर शायर अदम गोण्डवी ने सटीक निशाना साधा है। हर विषय पर उनकी तरकश से तीखे तीर निकले हैं। उनकी एक रचना है- जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में, गांव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में। आंकड़ों की बाजीगरी और फाइलों के जाल पर दृष्टिगत अदम का यह शेर परिषदीय विद्यालयों की विद्युतीकरण योजना के लिए भी बिल्कुल सटीक है। गोरखपुर-बस्ती मण्डल में गुजरे वित्तीय वर्ष में कुल 5473 विद्यालयों में विद्युतीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित था लेकिन पोल और परिवर्तक के अभाव में 2354 विद्यालयों में विद्युतीकरण का कार्य नहीं हो सका है। मुख्य अभियंता सुरेश राम कहते हैं कि इसके लिए 14.50 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2008 में शासन स्तर से निर्देश हुआ कि बारहवें वित्त आयोग योजनान्तर्गत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्युतीकरण किया जाय। इसके लिए सभी जनपदों में 567 प्राथमिक और 229 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्युतीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया। पूरे प्रदेश में 56516 विद्यालय चिन्हित किये गये और इसके लिए एक अरब 64 करोड़ 96 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी। गोरखपुर-बस्ती मण्डल के 5473 विद्यालयों के लिए कुल 16.38 रुपये की धनराशि आवंटित की गयी। पावर कारपोरेशन को प्रत्येक विद्यालय के हिसाब से 2200 रुपये दिये गये। तब साफ निर्देश था कि उन्हीं विद्यालयों को चयनित किया जाय जहां गांव में बिजली गयी है। सूची बनाते समय ऐसे विद्यालय भी चयनित हुये जहां बिजली के पोल नहीं थे अथवा परिवर्तक नहीं लगे थे। विद्युतीकरण का कार्य शुरू हुआ तो व्यवहारिक अड़चन शुरू हो गयी। महज 2200 रुपये की पूंजी में बिना पोल और परिवर्तक के विद्युतीकरण करना कठिन हो गया। जिन विद्यालयों को सिर्फ केबल से जोड़कर ऊर्जित करना था उनमें कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन जहां पोल और परिवर्तक लगाने थे वे विद्यालय अतिरिक्त बजट न होने से विद्युतीकरण से वंचित रह गये। उन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को बिजली के पंखे की हवा नसीब नहीं हुई। इस संदर्भ में पावर कारपोरेशन गोरखपुर जोन मुख्यालय के अधीक्षण अभियंता ओ.पी. गुप्ता से बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि 5473 विद्यालयों के लक्ष्य के सापेक्ष 3119 विद्यालयों का विद्युतीकरण हो गया है। 879 विद्यालयों में पोल लगाकर विद्युतीकरण करना है जबकि 1475 विद्यालयों के विद्युतीकरण के लिए परिवर्तक लगाना जरूरी है। इसके लिए क्रमश: 403.34 लाख और 1047.12 लाख रुपये की जरूरत है। मुख्य अभियंता श्री सुरेश राम ने बताया कि इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। पैसा मिलते ही कार्य शुरू हो जायेगा। विशेषज्ञ बताते हैं कि चूंकि जो धनराशि मुहैया करायी गयी थी वह विद्यालयों में फर्नीचर के लिए बारहवें वित्त आयोग से स्वीकृत थी। अब बजट बढ़ जाने से मामला फाइलों में उलझ कर रह गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि शासन स्तर पर इसके लिए पहल की गयी है। अब यह पहल कब तक कारगर होगी यह तो समय बतायेगा लेकिन 2354 विद्यालयों के विद्युतीकरण की फिलहाल कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

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