7 मार्च 2008

राहुल से उम्मीद बहुत


राहुल गाँधी देश के दौरे पर निकल रहे हैं। पिछले साल विधान सभा चुनाव में उन्हें दौरा करते हुए करीब से मैंने देखा। इसके पहले भी कई बार हमने उनकी कवरेज़ की है। अब उनके देश व्यापी दौरे को लेकर एक बहस चली है कि वे दौरा करके वोट पर कितना असर डालेंगे। राहुल गोरखपुर में विधान सभा चुनाव के दौरान ठहरे। एक रात पार्क रोड के क्लार्क ग्रैंड होटल से निकल कर सड़कों पर ठह्लने लगे। उनके होटल से निकलने कि मुझे ख़बर लगी तो मैं भी कांग्रेस के युवराज की ख़बर लेने चल पड़ा। सुरछा का जबरदस्त इंतजाम था। मैंने देखा राहुल ने देर रात को लौटते हुए एक ठेले वाले को रोका। उससे बातचीत शुरू की। ठेले वाले को पता नही चल पाया कि वह किससे बात कर रहा है। राहुल आगे बढे तो उसे मैंने बताया कि ये राहुल गाँधी थे। वह भावविभोर था। वापस मुड़ कर राहुल से मिलना चाहता था। मैंने बताया कि अब सम्भव नही है। राहुल ने पूरे डेढ़ घंटे सड़क पर चल कर बिताये। उनके साथ कैप्टन सतीश शर्मा भी थे। उन्होंने राहुल गाँधी से मेरी मुलाकात करवाई। राहुल थोडी देर बाद एक पान की दुकान पर रुके। उनके लिए पान लिया गया। लगा जैसे कोई अनाडीपान खा रहा है। राहुल ने इस दौरान लम्बी दूरी तय की और पसीने से लत-पथ हो गए। रात में ही उन्होंने कई उम्मीदवारों से भी बात की। सुबह उन्हें पत्रकारों से बात करनी थी। दिल्ली से भी बड़ी टीम आयी थी। उनके साथ आए पंकज शंकर ने मुझे रात में उनके डेढ़ घंटेकी यात्रा का सही तथ्य प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद दिया। मैं इन बातों को इसलिए कह रहा हूँ कि राहुल ने अपनी यात्रा से यहाँ कांग्रेस का माहौल बना दिया लेकिन मुकामी कार्यकर्ताओं की भीतरघात और उनकी खींचतान ने पार्टी को रसातल में ला दिया। गोरखपुर जिले में राहुल के आने का नतीजा रहा कि मुंडेरमें माधव पासवान को जीत मिली और पिपराइच में दीपक अग्रवाल को पूर्वांचल में सबसे सम्मान जनक वोट मिला। रामनगर में संजय जैसवाल भी बेहतर प्रदर्शन किए। राहुल युवाओं में नया संदेश देने में कामयाब हो जाते लेकिन सच यह है कि खेमों में बटे कांग्रेसी पार्टी की नही बल्कि अपनी चिंता में लगे हैं। इसीलिए कांग्रेस मजबूती से उभर नही पा रही है। सच पूछिये तो इसके जिम्मेदार कांग्रेसी ही हैं।

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