बीस लाख के भारतीय जाली नोटों के साथ नेपाल में पकड़े गए पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी के बेटे यूनुस अंसारी के काले कारोबार की जड़ें बहुत गहरी हैं। वह न केवल नकली नोटों के कारोबार का मुख्य सूत्रधार है, बल्कि उसने अंडरवर्ल्ड के लोगों को अत्याधुनिक असलहे भी उपलब्ध कराए हैं। खूबसूरत लड़कियों के जरिए वह जाली नोटों की डिलीवरी कराता रहा है।
यूनुस अंसारी का संबंध नेपाल के पूर्व युवराज पारस से बहुत ही बेहतर है। इन्हीं संबंधों के चलते जाली नोटों के कारोबार का आरोप पारस पर भी लगा। यहां तक कि ज्ञानेंद्र के शासन में जब शाही सेना ने मुठभेड़ के बाद माओवादियों से अत्याधुनिक असलहे बरामद किए तब इन हथियारों को भारतीय अपराधियों को बेचने में यूनुस ने मुख्य भूमिका निभाई थी। नेपालगंज, कृष्णानगर और वीरगंज को उसने इन हथियारों की बिक्री का केन्द्र बना दिया था। पिछले साल सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज कस्बे में एक बैंक से जाली नोटों के कारोबार का खुलासा हुआ। गाजीपुर जिले का मूल निवासी बैंक कर्मी सुधाकर त्रिपाठी पकड़ा गया। तबसे खुफिया तंत्र मुख्य सूत्र तलाश करने में जुटा है। आईएसआई और दाऊद इब्राहिम ने भारतीय अर्थ व्यवस्था को कमजोर करने के लिए जाली नोटों का कारोबार दो दशक पहले ही शुरू कर दिया था।
खुफिया एजेंसी के मुताबिक इस कारोबार के तार नेपाल स्थित पाक दूतावास से जुड़े हैं। नेपाल सरकार ने इसी शिकायत पर पाक दूतावास के अधिकारी परवेज चीमा को हटाने का अनुरोध किया था। 1993 से 1997 तक कुछ चिन्हित लोगों ने मिलकर सौ रुपये की नोट का कारोबार किया। लेकिन, बाद के दिनों में पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों का कारोबार शुरू हो गया। चूंकि नेपाल की सत्ता में सलीम मियां का दखल बढ़ा इसलिए एफएम चैनल खोलकर और मीडिया में पैर जमाकर यूनुस आईएसआई के भारत विरोधी अभियान में सक्रिय हो गया। खुफिया एजेंसियों ने भारत सरकार को जो रपट भेजी है, उसके मुताबिक नेपाल में जिकरउल्लाह, लाल मुहम्मद, जमील आलम, अल्ताफ हुसैन, इलियास मुन्ना जैसे लोग यूनुस अंसारी के संरक्षण में जाली नोटों के कारोबार में जुटे हैं।
4 टिप्पणियां:
भारत के दुश्मनों की पनाहगार बनता जा रहा है नेपाल .
आपके आलेखों में जमीनी सच्चाई है .
good story sir
युनूस के बारे में आपने बहुत तह तक जाकर जानकारी दी है. ऐसे लोगों के बारे में क्या रा, आई बी और बड़ी बड़ी खुफिया एजेंसियों को जानकारी नहीं रहती. सर इलाहाबाद दैनिक जागरण में हमने आपकी रपट पढी थी जिसमें कृष्णानंद राय की ह्त्या के बाद आपने लिखा था कि नेपाली मंत्री के सरंक्षण में घूम रहे कृष्णानंद के हत्यारे... अगर तभी सरकार सावधान हो जाती तो भारत के आर्थिक तंत्र पर नेपाली मंत्री और उसके बेटे का हमला नहीं हो पता. वैसे यकीन मानिए भारत में बहुत से सफेदपोश हैं जो ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं. आपके इस दिलेर अभियान के लिए हमारी तरफ से बधाई . आपकी कलम देश के गद्दारों के खिलाफ ऐसे ही चलती रहे. सुमित राना
नेपाल को भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बनाया गया है लेकिन सबसे खास बात देखिये कि अब नेपाल मित्र राष्ट्र होने का धर्म निभा रहा है . एक के बाद एक भारत विरोधी दुश्मन नप रहे हैं. ८ अक्टूबर को माजिद मनिहार नेपालगंज में मारा गया. फिर २५ दिसम्बर को परवेज टांडा मारा गया. इसके पहले कई भारत विरोधी दुश्मन वहां मारे जा चुके हैं. एक रपट हमने पहले लिखी थी कि जो नेपाल में टिके वो मिटे. आगे आगे देखिये होता है क्या. ....
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