गोरखपुर, 07 जनवरी। अण्डरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के दायें हाथ और आईएसआई एजेण्ट युनूस अंसारी के नेपाल में जाली नोटों के साथ पकड़े जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियां भारत में उसके रिश्तों को खंगाल रही हैं। नेपाल पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर इन एजेंसियों ने भारत के प्रमुख शहरों में युनूस के नेटवर्क और सम्बंधों की बारीक छानबीन शुरू कर दी है। कुछ राजनेता, पुलिस अफसर और नामचीन अपराधियों से युनूस के बेहतर सम्बंध होने की बात उभर कर सामने आयी है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में जाली नोटों की खेप के साथ पकड़े गये तस्करों ने जब इस धंधे का सिरा नेपाल के पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी के पुत्र युनूस अंसारी से जोड़ा तभी सी.बी.आई. के कान खड़े हो गये। सी.बी.आई. ने नेपाल पुलिस को इसकी सूचना दी। उसी सूचना के जरिये नेपाल पुलिस के हाथ युनूस के गिरेबां तक पहुंचे। युनूस की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही सी.बी.आई.,आई.बी., यू.पी. की एटीएस और एस.आई.ओ. की अलग अलग टीम काठमाण्डू पहुंच गयी। इन सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल में युनूस के नेटवर्क का अध्ययन किया। चूंकि उसे दस दिन की न्यायिक हिरासत में लिया गया है इसलिए युनूस से सीधी मुलाकात नहीं हो पायी।
सूत्रों का कहना है कि नेपाल पुलिस ने भारतीय अफसरों का पूरा सहयोग किया और यहां से दिये सवालों पर युनूस का इंट्रोगेशन भी किया। युनूस ने भारत में राजनेताओं, अफसरों और अपराधियों से अपने बेहतर रिश्ते की बात कबूल की। बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखण्ड, पश्रि्वम बंगाल, गुजरात, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में उसका संजाल फैला है। इसके अलावा दूसरे अन्य प्रांतों में भी उसकी टीम काम करती है। बताते हैं कि लगभग डेढ़ सौ नामचीन लोगों के नाम युनूस ने बताये हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के भारत-नेपाल सीमा के जनपदों में एक दशक में तैनात कई पुलिस अफसरों और थानेदारों से भी उसने अपने सम्बंध गिनाये हैं।
एक प्रमुख सुरक्षा एजेंसी ने युनूस अंसारी के बाबत नेपाल पुलिस से मिली जानकारी की रिपोर्ट 26 पेज में बनायी है। इस रिपोर्ट में उसके जरिये मिले सभी संदिग्ध नामों को शामिल किया गया है। हालांकि अभी इस बात का पुख्ता प्रमाण नहीं है कि युनूस ने जिनके नाम गिनाये सभी उसके काले कारोबार में शामिल रहे हैं। बताते हैं कि जिन लोगों से युनूस के रिश्तों की बात सामने आयी है उन पर कड़ी निगाह लग गयी है। ऐसे लोगों की गतिविधियों, बैंक खातों और कारोबार पर भी नजर रखी जा रही है।
नोटिस लेने की बात यह भी है कि 29 नवम्बर 2005 को जब गाजीपुर जिले के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गयी तब दैनिक जागरण ने यह खबर प्रकाशित की थी कि 'नेपाली मंत्री के संरक्षण में घूम रहे कृष्णानन्द के हत्यारे'। कृष्णानंद के हत्यारों को सलीम मियां और उनके बेटे युनूस ने ही पनाह दी। बताते हैं कि बिहार से लेकर इलाहाबाद तक फैले इस प्रमुख राजनीतिक-आपराधिक गठजोड़ के आर्थिक तंत्र की डोर युनूस अंसारी के ही हाथ में रही है। इसी तरह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भी युनूस का अच्छा प्रभाव है। उम्मीद जतायी जा रही है कि एक पखवारे के अंदर भारत में जाली नोटों के काम में जुटे कुछ प्रमुख लोगों के चेहरों से नकाब उतरेगा।
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