आनन्द राय
लखनऊ, 13 दिसंबर : यूपी में एनआरएचएम घोटाला और डबल सीएमओ मर्डर की जांच में जुटी सीबीआइ तह तक पहंुचने की हर मुमकिन कोशिश में जुटी है। उसके सर्विलांस पर सूबे के 40 प्रमुख लोग हैं। इनमें जनप्रतिनिधि, अफसर और सरकार के कुछ खास दिग्गज शामिल हैं। सीबीआइ को इससे कई अहम सूचनाएं हासिल हो रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में सीबीआइ की एक स्पेशल यूनिट पिछले चार महीने से प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों, दो पूर्व मंत्रियों, दर्जन भर विधायक, सांसद, कई आइएएस और स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों का फोन हर दिन रिकार्ड कर रही है। बताते हैं कि सीबीआइ की यह कार्यशैली कुछ लोगों को पता चल गयी है। इससे वे सावधान हो गये हैं, लेकिन शुरुआती दौर में कई अहम चीजें सीबीआइ को फोन टेप के जरिए ही पता चली हैं। इनमें सरकार के एक चर्चित नौकरशाह की बातें भी हैं, जिसमें एक पूर्व मंत्री द्वारा सीएमओ की पोस्टिंग में भारी पैसा खाने की बात है। शुरुआती दौर में सचान के सुसाइड नोट के बारे में भी सीबीआइ को ऐसे ही जानकारी मिली थी। सीबीआइ के पास कई महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं, जिन्हें सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
इस संवाददाता से बातचीत में एक सांसद ने बताया कि उनको चार माह से पता है कि सीबीआइ उनका फोन टेप कर रही है। किसी शिकायत की बजाय वह अपने फोन पर सारी बातचीत कर रहे हैं और चाह रहे हैं कि सीबीआइ उनकी बात सुने और सच जाने। सीबीआइ 40 नहीं, 200 लोगों का फोन टेप कर रही है। इस दहशत में कई लोगों ने अपना फोन इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। जांच के दायरे में आये एक विधायक काफी समय से अपने साथ मोबाइल फोन नहीं रखते। वे बातचीत करने के लिए दूसरों का फोन इस्तेमाल कर रहे हैं। सीबीआइ चिह्नित लोगों का लोकेशन जानने से लेकर उनकी गतिविधियों पर भी नजर रखे है।
(नपेंगे खरीद और निर्माण की हेराफेरी करने वाले- पेज 9)
लखनऊ, 13 दिसंबर (जाब्यू) : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के घोटाले की जांच में सीबीआइ खरीद और निर्माण की हेराफेरी करने वालों पर केंद्रित हो गई है। महराजगंज जिले में स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद स्टेशनरी की दुकान से किए जाने का मामला सामने आने के बाद सीबीआइ को अंदेशा है कि जिलों में कुछ हेरफेर के साथ एक ही तरह का गोरखधंधा किया गया है। टीम बनाकर खरीददार और विक्रेता का भौतिक सत्यापन शुरू हो गया है। निर्माण एजेंसियों की गड़बड़ी भी सीबीआइ जांच में सामने आ रही है। इन सभी के खिलाफ साक्ष्य जुटाकर कार्रवाई की तैयारी हो रही है। मदद करने वालों को सरकारी गवाह बनाने पर भी सीबीआइ विचार कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ मुख्यालय से आए अतिरिक्त निदेशक सलीम अली ने मंगलवार को समीक्षा के दौरान यह हिदायत दी कि अभिलेखों की पड़ताल के दौरान क्रय करने वाली फर्म और विक्रेता की जांच अवश्य करें और प्रमाणिक सबूत मिलने के साथ ही विधिक कार्रवाई शुरू करें। अधिकारियों ने कहा कि टीम इसी दिशा में काम कर रही है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से जांच कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने इस घोटाले में शामिल बड़े लोगों, अधिकारियों और ठेकेदारों को चिन्हित कर उनसे प्रारंभिक पूछताछ का भी निर्देश दिया। पहले चरण की बैठक के बाद शाम को सलीम अली दिल्ली चले गए।
सूत्रों के मुताबिक दूसरे चरण की बैठक में सीबीआइ मुख्यालय से आए डीआइजी सतीश गोलचा, नीरजा गोत्रू, एसपी एमसी साहनी, देहरादून एसीबी के एसपी नीलाभ किशोर और लखनऊ एससीबी के एसपी एसके खरे समेत कई अधिकारियों ने एनआरएचएम घोटाला, डबल सीएमओ मर्डर और जिला कारागार में डिप्टी सीएमओ डॉ.वाइएस सचान की रहस्यमयी मौत की जांच की समीक्षा की और सभी घटनाओं की आपस में जुड़ रही कडि़यों पर फोकस किया। अधिकारियों ने समय से जांच पूरा करने और अब तक मिले सबूतों का एक बार फिर सत्यापन करने की भी नसीहत दी। जांच टीमों ने अपनी दिक्कतें भी बताई।
लखनऊ, 13 दिसंबर : यूपी में एनआरएचएम घोटाला और डबल सीएमओ मर्डर की जांच में जुटी सीबीआइ तह तक पहंुचने की हर मुमकिन कोशिश में जुटी है। उसके सर्विलांस पर सूबे के 40 प्रमुख लोग हैं। इनमें जनप्रतिनिधि, अफसर और सरकार के कुछ खास दिग्गज शामिल हैं। सीबीआइ को इससे कई अहम सूचनाएं हासिल हो रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में सीबीआइ की एक स्पेशल यूनिट पिछले चार महीने से प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों, दो पूर्व मंत्रियों, दर्जन भर विधायक, सांसद, कई आइएएस और स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों का फोन हर दिन रिकार्ड कर रही है। बताते हैं कि सीबीआइ की यह कार्यशैली कुछ लोगों को पता चल गयी है। इससे वे सावधान हो गये हैं, लेकिन शुरुआती दौर में कई अहम चीजें सीबीआइ को फोन टेप के जरिए ही पता चली हैं। इनमें सरकार के एक चर्चित नौकरशाह की बातें भी हैं, जिसमें एक पूर्व मंत्री द्वारा सीएमओ की पोस्टिंग में भारी पैसा खाने की बात है। शुरुआती दौर में सचान के सुसाइड नोट के बारे में भी सीबीआइ को ऐसे ही जानकारी मिली थी। सीबीआइ के पास कई महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं, जिन्हें सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
इस संवाददाता से बातचीत में एक सांसद ने बताया कि उनको चार माह से पता है कि सीबीआइ उनका फोन टेप कर रही है। किसी शिकायत की बजाय वह अपने फोन पर सारी बातचीत कर रहे हैं और चाह रहे हैं कि सीबीआइ उनकी बात सुने और सच जाने। सीबीआइ 40 नहीं, 200 लोगों का फोन टेप कर रही है। इस दहशत में कई लोगों ने अपना फोन इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। जांच के दायरे में आये एक विधायक काफी समय से अपने साथ मोबाइल फोन नहीं रखते। वे बातचीत करने के लिए दूसरों का फोन इस्तेमाल कर रहे हैं। सीबीआइ चिह्नित लोगों का लोकेशन जानने से लेकर उनकी गतिविधियों पर भी नजर रखे है।
(नपेंगे खरीद और निर्माण की हेराफेरी करने वाले- पेज 9)
लखनऊ, 13 दिसंबर (जाब्यू) : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के घोटाले की जांच में सीबीआइ खरीद और निर्माण की हेराफेरी करने वालों पर केंद्रित हो गई है। महराजगंज जिले में स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद स्टेशनरी की दुकान से किए जाने का मामला सामने आने के बाद सीबीआइ को अंदेशा है कि जिलों में कुछ हेरफेर के साथ एक ही तरह का गोरखधंधा किया गया है। टीम बनाकर खरीददार और विक्रेता का भौतिक सत्यापन शुरू हो गया है। निर्माण एजेंसियों की गड़बड़ी भी सीबीआइ जांच में सामने आ रही है। इन सभी के खिलाफ साक्ष्य जुटाकर कार्रवाई की तैयारी हो रही है। मदद करने वालों को सरकारी गवाह बनाने पर भी सीबीआइ विचार कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ मुख्यालय से आए अतिरिक्त निदेशक सलीम अली ने मंगलवार को समीक्षा के दौरान यह हिदायत दी कि अभिलेखों की पड़ताल के दौरान क्रय करने वाली फर्म और विक्रेता की जांच अवश्य करें और प्रमाणिक सबूत मिलने के साथ ही विधिक कार्रवाई शुरू करें। अधिकारियों ने कहा कि टीम इसी दिशा में काम कर रही है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से जांच कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने इस घोटाले में शामिल बड़े लोगों, अधिकारियों और ठेकेदारों को चिन्हित कर उनसे प्रारंभिक पूछताछ का भी निर्देश दिया। पहले चरण की बैठक के बाद शाम को सलीम अली दिल्ली चले गए।
सूत्रों के मुताबिक दूसरे चरण की बैठक में सीबीआइ मुख्यालय से आए डीआइजी सतीश गोलचा, नीरजा गोत्रू, एसपी एमसी साहनी, देहरादून एसीबी के एसपी नीलाभ किशोर और लखनऊ एससीबी के एसपी एसके खरे समेत कई अधिकारियों ने एनआरएचएम घोटाला, डबल सीएमओ मर्डर और जिला कारागार में डिप्टी सीएमओ डॉ.वाइएस सचान की रहस्यमयी मौत की जांच की समीक्षा की और सभी घटनाओं की आपस में जुड़ रही कडि़यों पर फोकस किया। अधिकारियों ने समय से जांच पूरा करने और अब तक मिले सबूतों का एक बार फिर सत्यापन करने की भी नसीहत दी। जांच टीमों ने अपनी दिक्कतें भी बताई।
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