15 दिस॰ 2011

जांच को लेकर मुश्किल में सीबीआइ


आनन्द राय

लखनऊ, 8 दिसंबर : डिप्टी सीएमओ डाक्टर वाइएस सचान की रहस्यमय मौत की जांच कर रही सीबीआइ की मुश्किलें अब तक मिले सबूतों और साक्ष्यों ने बढ़ा दी हैं। सचान के सुसाइड नोट की छाया प्रति सीबीआइ को आत्महत्या की बात सोचने पर मजबूर कर रही है, वहीं परिस्थितियां और घटनास्थल के साक्ष्य हत्या की ओर इशारा कर रहे हैं। इस दुविधा में सीबीआइ दोराहे पर आकर खड़ी हो गई है और उसे जांच को गति देने के लिए कोई नया सिरा नहीं मिल रहा है। फिर भी सीबीआइ को भरोसा है कि वह तय समय में इसका राजफाश कर देगी।

राजधानी के डबल सीएमओ मर्डर और एनआरएचएम घोटाले के आरोपी डाक्टर सचान की लाश 22 जून को लखनऊ जिला कारागार के शौचालय में पाई गई। तब जेल प्रशासन और पुलिस ने कहा कि सचान ने आत्महत्या की है। उनके पास से सुसाइड नोट भी मिला, लेकिन जब रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर हंगामा शुरू हुआ तो सुसाइड नोट गायब हो गया। जेल विभाग के एक उच्चाधिकारी के जरिए होकर यह सुसाइड नोट कहां गया, इस सवाल का जवाब सीबीआइ को भी नहीं मिल सका है। सूत्रों के मुताबिक सुसाइड नोट की तलाश में काफी समय से जुटी सीबीआइ को गत दिनों छाया प्रति मिली। यह सुसाइड नोट सचान की ही लिखावट में है। सीबीआइ इस विषय पर अनुसंधान कर रही है कि क्या वाकई सचान ने सुसाइड नोट लिखा है, या उनका टार्चर करके लिखवाया गया है। असल में उनके शरीर पर जिस तरह जख्मों के निशान मिले, वह उनके उत्पीड़न की ही दास्तां बयां करते हैं, इसीलिए सीबीआइ वह मूल प्रति हासिल करने के लिए शीर्ष अधिकारी से लेकर कई महत्वपूर्ण लोगों से पूछताछ कर चुकी है।

जेल प्रशासन की कहानी पर विश्र्वास नहीं : उधर, घटनास्थल के साक्ष्यों ने सीबीआइ को हत्या पर भी सोचने को मजबूर कर दिया है। चूंकि जिस तरह सर्जिकल ब्लेड से उनके शरीर पर कटे के 8 निशान और शौचालय में बेल्ट से फंदा डालकर आत्महत्या करने की कहानी जेल प्रशासन ने सुनाई, वह अभी भी सीबीआइ के गले के नीचे नहीं उतर रही है। शौचालय में मिले खून और बिना पुलिस को सूचित किए लाश को बरामदे में रख देना भी सीबीआइ को तफ्तीश की एक और दिशा देने पर मजबूर कर रहा है।

सीसीटीवी फुटेज में छेड़छाड़ भी एक वजह : संशय की एक और वजह यह भी है कि सीबीआइ को घटना के दिन का मिला सीसीटीवी फुटेज अस्पष्ट है। अंदेशा है कि सीसीटीवी फुटेज के साथ छेड़छाड़ हुई है, क्योंकि घटना के दिन जेल परिसर में 23 घंटा विद्युत आपूर्ति हुई है।

पालीग्राफी टेस्ट से बंदी के इंकार पर भी शक बढ़ा : जेलर समेत सात जेलकर्मियों और दो कैदियों के पालीग्राफी टेस्ट के लिए सीबीआइ ने अदालत में अर्जी डाली थी। बिचाराधीन बंदी सोनू दारा सिंह द्वारा टेस्ट कराने से इंकार करने से सीबीआइ का शक बढ़ गया है। चूंकि घटना के दिन सोनू दारा सिंह जेल अस्पताल में मंडरा रहा था, इसलिए वह शक के दायरे में है।

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