12 सित॰ 2009

अनोखा आंदोलन : आमी की शुद्धि के लिए सिर मुड़ाया


आनन्द राय , गोरखपुर :

औद्योगिक इकाइयों के अपजल से प्रदूषित हो चुकी ऐतिहासिक आमी नदी की मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे आमी बचाओ मंच ने गुरुवार को अनोखा आंदोलन किया। मंच के अध्यक्ष विश्र्वविजय सिंह के नेतृत्व में मण्डलायुक्त कार्यालय पर तटवर्ती गांवों के 101 लोगों ने सिर मुड़ाया। पितृपक्ष के इस पखवारे में लोग अपने पूर्वजों को अर्पण-तर्पण करते हैं। आमी बचाओ मंच ने आमी की शुद्धि और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मृत प्राय मानकर अर्पण तर्पण किया। इस अनोखे आंदोलन को देखने के लिए लोग भारी संख्या में उमड़ पड़े। गुरुवार को मण्डलायुक्त कार्यालय पर काली मंदिर दाउदपुर के प्रधान पुजारी विजयशंकर पाण्डेय द्वारा आमी मुक्ति हेतु हवन और मंत्रोच्चार किया गया। इसके बाद तटवर्ती गांवों के 101 लोगों ने सिर मुड़ाया। तटवर्ती गांवों के आधा दर्जन से अधिक हजाम इसमें शामिल हुये। सिर मुड़ाने के बाद आंदोलनकारियों ने अर्पण तर्पण किया। और आमी की मुक्ति तक सिलसिलेवार लड़ाई लड़ने का संकल्प दुहराया। इस अवसर पर एक सभा भी आयोजित की गयी। सभा की अध्यक्षता करते हुये विश्र्वविजय सिंह ने कहा कि पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं और आमी नदी भी हमारी पहचान धरोहर और जीवनदायिनी पूर्वज है। हम सब इसके सम्मान में यह संकल्प ले रहे हैं कि मृत प्राय हो चुके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अंत्येष्टि कर देंगे। जनसम्पर्क प्रमुख संजय सिंह और मंत्री सुनील सिंह ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि आमी की शुद्धि तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। फौजदार यादव, लालसाहब सिंह, जयराम यादव, विजय बहादुर सिंह, मिश्री निषाद, महातम निषाद, वीरेन्द्र यादव, सीताराम, जितेन्द्र दुसाध, बालगोविन्द दुसाध, विंध्याचल हरिजन, श्यामली हरिजन, रामआशीष प्रजापति, ओमप्रकाश दुसाध, प्रमोद, रामहित, उदयभान यादव, संतोष सिंह, धर्मेन्द्र चौरसिया, राणा सिंह, राजबहादुर यादव, अमृत सिंह, रामदरश साहनी, कतवारू, राजबहादुर और रामा यादव समेत 101 लोगों ने मुण्डन कराया और सभा में शिरकत की। कार्यक्रम में मातृशक्ति के रूप में आंदोलन को मजबूती देने के लिए मनाजी देवी, शहबंती देवी, मानमति देवी, कंुता देवी, भूता देवी, प्रेणता देवी और उषा देवी समेत कई प्रमुख महिलाएं उपस्थित थीं। उल्लेखनीय है कि सिद्धार्थनगर जिले के सोहनारा से निकली और गोरखपुर जिले के सोहगौरा में राप्ती नदी में विलीन हुई 80 किलोमीटर लम्बी आमी नदी के साथ गौतम बुद्ध, कबीर और गुरू गोरक्ष का रिश्ता जुड़ा हुआ है। अनोमा में इसी नदी के तट पर राजकुमार सिद्धार्थ अपने राजसी वस्त्रों का परित्याग कर ज्ञान की खोज में निकल गये और बाद में गौतम बुद्ध बने। अपने आखिरी दिनों में कबीर मोक्ष प्राप्ति के लिए इसी तट पर मगहर आये। यहीं गुरू गोरक्ष से उनका संवाद भी हुआ। कभी जीवनदायिनी रही यह नदी अब मृतप्राय हो गयी है। पिछले नौ माह से निरंतर आंदोलन कर रहे आमी बचाओ मंच ने पितृपक्ष के समय नदी की शुद्धि के लिए यह रास्ता चुना।

1 टिप्पणी:

संजय तिवारी ने कहा…

आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.

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