आनन्द राय, गोरखपुर
संसाधनों की कमी और उपेक्षा के चलते अपने हुनर को दिशा न दे पाने वाले मेधावी बच्चों के लिए यह अच्छी खबर है। खासतौर पर उनके लिए जो परिषदीय विद्यालयों में पढ़ते हैं और प्रतिस्पर्धा की दौड़ में सबसे पीछे रह जाते हैं। उनकी मेधा को मुकाम देने के लिए पांच चरणों में बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन हो रहा है। इस आयोजन में प्रतिभाग की जिम्मेदारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंप दी गयी है। बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन जिला, राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर लगातार किये जाने का यह सत्रहवां वर्ष है। बाल विज्ञान कांग्रेस में 10 से 17 आयु वर्ग के बच्चे किसी भी शिक्षक के मार्गदर्शन में पूर्व निर्धारित मुख्य विषय से सम्बंधित स्थानीय समस्या को चिन्हित करके सर्वेक्षण, परीक्षण एवं विश्लेषण तथा प्रयोगों पर आधारित प्रोजेक्ट्स तैयार करना सीखते हैं। इसे विभिन्न स्तरीय आयोजनों में प्रस्तुत किया जाता है। यह एक अभिनव गतिविधि है जिसके द्वारा बच्चों का वैज्ञानिक व्यक्तित्व विकसित होता है। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की अपर शिक्षा निदेशक डा। सुधा प्रकाश ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिये गये निर्देश में कहा है कि इस वर्ष बाल विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय पृथ्वी ग्रह हमारा घर: आइये इसे समझें और बचायें सुनिश्चित किया गया है। सितम्बर माह तक प्रधानाचार्य की देखरेख में बाल विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित होगी। इसके बाद नोडल स्तर पर 15 अक्टूबर से पहले आयोजन किया जायेगा। इसका संचालन नोडल सेण्टर कोआर्डिनेटर करेंगे। 31 अक्टूबर से पहले जिले पर जिला आयोजन समिति के संचालन में आयोजन होगा। 15, 16 एवं 17 नवम्बर को राज्य आयोजन समिति द्वारा आर्य भट्ट कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालाजी बागपत में बाल विज्ञान कांग्रेस आयोजित होगा। 27-31 दिसम्बर तक गुजरात साइंस सिटी अहमदाबाद में राष्ट्रीय स्तर का आयोजन होगा। इसके बाद 3-7 जनवरी 2010 को तिरुअनंतपुरम यूनिवर्सिटी में इण्डियन साइंस कांग्रेस का आयोजन होगा। बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन अब शैक्षिक पंचांग में शामिल कर लिया गया है। बच्चों को तकनीक से परिचित कराने की जिम्मेदारी अफसरों को सौंप दी गयी है। विद्यालय के बच्चे कम से कम 3 तथा अधिकतम पांच के समूह में 2-3 माह कार्य करते हैं और तैयार किये गये प्रोजेक्ट को विद्यालय स्तर से नोडल स्तर से जिला स्तर पर होने वाले वाल विज्ञान कांग्रेस में प्रस्तुत करते हैं। जिला स्तर से चयनित समूह राज्य स्तर पर तथा वहां से चयनित वाल विज्ञानी समूहों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाता है। सभी स्तरों पर प्रतिभागी बच्चों एवं उनके मार्गदर्शक शिक्षकों को प्रमाण पत्र एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा।
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