आनंद राय , गोरखपुर :
भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार और गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से सपा उम्मीदवार मनोज तिवारी मृदुल ने अपनी हार को बहुत ही सहजता से लिया। मतगणना के शुरूआती रुझान को भांपकर ही वे पण्डाल से बाहर निकल पड़े और चेहरे पर हारी हुई मुस्कान लिये बोले- यदि गोरखपुर की जनता ने मुझे स्वीकार नहीं किया तो क्या कहूं। पर उन्होंने तुरंत यह भी कहा मुझे वोट भले कम मिला लेकिन जनता ने खूब प्यार दिया और मेरी सभाओं में सबसे ज्यादा भीड़ आयी। कभी भोजपुरी गायन और फिर भोजपुरी फिल्मों के चुनाव में गोरखपुर की जनता ने मनोज को सिर आंखों पर बिठाया लेकिन सियासी चुनाव में उन्हें नकार दिया। यह टीस उनके चेहरे पर चस्पा थी। मन की पीड़ा को बाहर करते हुये उन्होंने कहा कि मैंने यहां के लोगों का प्यार देखकर ही अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। मेरी अपेक्षा पूरी होती तो मैं अपने वादे भी पूरा करता। मनोज ने कहा कि मैंने तो सदियों से पिछड़े गोरखपुर में दिया जलाने की कोशिश की लेकिन जनता हवा के रुख से इसे संभाल नहीं सकी। इस संवाददाता ने सवाल किया कि क्या अब आपका गोरखपुर से मोहभंग हो जायेगा? मनोज ने बात काटी। बोले-नाहि जी जइसन पहिले रहलीं जा वइसहीं रहब॥हम कवनो राजनीतिज्ञ थोड़े बांटि। इहां क बेटवा हईं आ इहां के लोग जीवन भर हमरा हृदय में रइहें।
इस बीच मनोज ने एक शेर भी सुनाया-
जो आंसू तुमने सौंपे हैं मुझे उनसे गिला क्यों हो ,
समय का दौर ऐसा है की अपने ही रुलाते हैं।
बंधे हो पाँव में पत्थर हमें तो दौड़ना होगा,
रुके कैसे की कल के रास्ते हमको बुलाते हैं।
जो आंसू तुमने सौंपे हैं मुझे उनसे गिला क्यों हो ,
समय का दौर ऐसा है की अपने ही रुलाते हैं।
बंधे हो पाँव में पत्थर हमें तो दौड़ना होगा,
रुके कैसे की कल के रास्ते हमको बुलाते हैं।
तो क्या राजनीति में बने रहेंगे? मनोज ने कहा कि अब हम जो भी फैसला करेंगे सोच समझ कर करेंगे। गोरखपुर के लिए मेरा प्यार बना रहेगा। यहां मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि यहीं के लोगों ने मुझे सब कुछ दिया है। जब उनसे यह कहा गया कि क्या अब आपकी रफ्तार धीमी हो जायेगी तो उनका कहना था कि एक कलाकार के रूप में मेरी जो रफ्तार थी वह और तेज हो जायेगी। मनोज मृदुल पूरे चुनाव में राज ठाकरे को सबक सिखाने का एलान करते रहे। जब उनसे पूछा गया कि अब कैसे सबक सिखायेंगे तो उन्होंने कहा कि यह कसक हमारे मन में बनी रहेगी।
1 टिप्पणी:
हार को सहजता से ही लिया जाना चाहिए .. हार में ही जीत छुपी होती है।
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