19 मई 2009

विनोद शुक्ला जी को शत शत नमन


आनंद राय

हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा होता है जिसे वह पूरी जिन्दगी भूल नही पाता है। पत्रकारिता में मैं अपने मौजूद होने को बहुत हद तक विनोद शुक्ला जी को मानता हूँ। यह निजी बात है। इससे महत्वपूर्ण बात तो यह है किउन्होंने हिन्दी पत्रकारिता के कई पुरोधाओं को वजूद दिया है। अपने से आगे और बाद की कई पीढियां उनकी खोज हैं। सोमवार को उनके निधन की ख़बर आयी तो सहसा स्तब्ध रह गया। विराट व्यक्तित्व के मालिक और हमेशा तेवर में रहने वाले भैया जी का जाना सदैव खलेगा। उन्हें शत शत नमन। उनके लिए बस इतना ही-

खुश जमालों की याद आती है,

बेमिसालों की याद आती है।

जिनसे दुनिया ऐ दिल मुनौवारें थी,

उन उजालों की याद आती है।

जाने वाले कभी लौट कर नही आते,

जाने वालों की याद आती है।

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