3 जून 2008

एक लड़की मेरे शहर की


एक लड़की मेरे शहर की। नाम हरिप्रिया। यू पी बोर्ड इम्तहान में उसने प्रदेश टाप किया तो पूरे शहर की बांछे खिल गई। जिस समय रिजल्ट आया उस समय पूरा देश नॉएडा की आरुशी और उसके नौकर हेमराज की मौत की गुथियाँ सुलझाने में लगा हुआ था। अभी भी आरुशी मसला hal नही हुआ है। अब इसमे सीबीआई भी आ गई है। पर गोरखपुर के लिए हरिप्रिया का हाई स्कूल के इम्तहान में अव्वल आना ही चर्चा के लिए काफी है। यू पी पुलिस में हरिप्रिया की माँ सिपाही है और उसके पिता एल आई सी के अभिकर्ता हैं। एक छोटी बहन और भाई के साथ रहते हुए हरिप्रिया अपने मंजिल के लिए निरंटर चलती रही। उसकी उपलब्धि पर सभी खुश हैं। आरुशी पता नही कैसी थी और उसकी मौत कैसे हुई पर यह जानने के लिए लोग व्याकुल हैं। गोरखपुर के लोग अपने बच्चों को हरिप्रिया का उदाहरण देते हैं और अपेछा करते हैं की उनके भी बच्चे हरिप्रिया जैसे ही हों। यकीनन अंधकार प्रकाश का विकल्प नही हो सकता। अँधेरा प्रकाश का आभाव होता है। हरिप्रिया की अच्छाई अनेक बुरी ख़बरों पर भारी पड़ रही है।

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