13 फ़र॰ 2008

विनय भइया


विनय भइया

नमस्कार बहुत दिनों से आपके साथ कंही घूमा नही। पता नही किस दुनिया में आजकल आप रहतें है। मेरे कई मित्र जो जीवन के सफर में हमसे आगे हैआपको पूछते है। आपको उनकी याद भी नही होगी। पर मुझसे अधिक वे लोग आपको ही याद करतेहैं। आपको पता है जीवन की डोर बहुत कमजोर होती पर मैं जिनकी बात कर रहा हू वे रिश्तों की डोर मरते दम तक अपने हाथ में रखतें है। मैं तो हर छड़ आपको अपने जीवन से समेटें रखना चाहता हू। कभी फुरसत मिले तो मेरे लिए नही मेरे उन मित्रों के लिए थोड़ा समय निकालिए जिन लोंगो ने अख़बार में आपके उज्जवल भविष्य की कामना की है। उन लोंगों में वागीश, देव, राजेंद्र, रामसमुझ, रवी, और न जाने कितने आपको भूल नही पाते। कभी तो थोड़ा समय निकालिए। कभी विपिन आपको याद करे तो उसे भूलियेगा नही। बिल्कुल माल्तारी के ओमप्रकाश की तरह है। धन्यबाद भइया।

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