
संजय दत्त और मान्यता ने तीसरी बार शादी की है। दोनों तीसरी बार विवाह के बन्धन में बंधे है। मुझे अचानक राजकपूर की तीसरी कसम याद आ गयी। महान लेखक फरीस्वरनाथ रेणू की रचना मारे गए गुलफाम को लेकर गीतकार शैलेन्द्र ने यह फ़िल्म बनायी थी। हीरा गारीवान अपने जीवन में तीन कसम खाई। तीसरी कसम यह थी कि अपने जीवन में वह किसी पतुरिया से प्यार नही करेगा। असल में फ़िल्म की नायिका हीरा बाई उससे दिल लगाने के बाद भी छोड़ कर चली गयी और स्टेसन पर वह उसे जाते हुए देखता रह गया। मैं फ़िल्म वालों की शादी होते और टूटते देखता हू तो तकलीफ होती है। संजय को भी रिया पिल्लै छोड़ गयी और मान्यता ने भी अपने पहले पतियों को छोड़ दिया। संजय दत्त को यह तीसरी शादी मुबारक हो लेकिन इस सुझाव के साथ कि उन्हें तीसरी कसम याद रहे। उनके अब्बा हुजूर नरगिस को कितना चाहते थे यह तो संजय को बताने की जरूरत नही। पर उनकी बहने प्रिया और नम्रता का शादी में शामिल न होना भी एक डर को जन्म देता है। डर इसलिए किफ़िल्म नगरी में रिश्ते हर रोज बनते और टूट जाते हैं। चूँकि हमारा समाज फिल्मों और उनके अभिनेताओं से भी प्रभावित होता है इसलिए वहाँ जब भी कुछ होता है तो हम सबको झटका जरूर लगता है। मेरी संजय और मान्यता को शुभकामना की जीवन भर उनका साथ बना रहे।
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