आनन्द राय
लखनऊ, 11 मार्च : सैंतीस साल के चन्द्रशेखर सिंह के अलबम में यूपी के होने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जुड़ी अनगिनत यादें हैं। आस्ट्रेलिया में पढ़ते समय दोनों एक साथ अगल-बगल पेइंग गेस्ट बनकर रहे। दोनों ने सुख-दुख साझा किया। उन दिनों मुलायम सिंह यादव भारत सरकार के रक्षा मंत्री थे, लेकिन अखिलेश ने अपनी सादगी से कभी चन्द्रशेखर को अहसास नहीं होने दिया कि उन दोनों की हैसियत में जमीन-आसमान का अंतर है। उनके इसी बड़प्पन को चन्द्रशेखर आज तक भूल नहीं पाए हैं और अब भी उनकी दोस्ती की गांठ उतनी ही मजबूत है। 1/2 फैजाबाद रोड, शिवस्थली में रहने वाले चन्द्रशेखर बैंकिंग ट्रेड से जुड़े हैं।
पहली मुलाकात : 1996 में चन्द्रशेखर यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न सिडनी से एमबीए करने गए थे। उन्हीं दिनों अखिलेश यादव ने यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में एमटेक में दाखिला लिया। अखिलेश के हास्टल के रूम पार्टनर दीपक और चन्द्रशेखर के रूम पार्टनर सुनील धींगरा दिल्ली के रहने वाले थे। अखिलेश ने आस्ट्रेलिया पहंुचते ही भारतीयों को एकत्र करना शुरू किया। तभी दीपक और सुनील ने अखिलेश और चन्द्रशेखर की मुलाकात कराई। फिर धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे से मिलने जुलने और फोन पर बातें करने लगे।
छोड़ा हॉस्टल : उस समय चन्द्रशेखर डेनट्रे ड्राइव में पेइंग गेस्ट थे। दोनों के बीच अपनी दिनचर्या को लेकर बातें होती। लगभग ढाई तीन महीने बाद अखिलेश ने हास्टल छोड़ दिया। चन्द्रशेखर के संदर्भ से वह उनके पड़ोस में आस्ट्रेलियन और फिजी इंडियन दंपती डेविड और रश्मि के पेइंग गेस्ट बन गए। अगल-बगल आने के बाद दोनों की नजदीकियां बढ़ती गई। तभी पता चला कि इस नौजवान के दिल में जो ख्वाब पल रहे हैं, उसका सिरा उत्तर प्रदेश की तकदीर से जुड़ा है।
आलू की रसेदार सब्जी और भारतीय प्रेम : आस्ट्रेलिया में अखिलेश का भारतीय प्रेम हर दिन बढ़ता गया। देसी खाने की याद उन्हें खूब आती और उन्होंने किचन में भी अपना दखल दिया। आलू-मटर की रसेदार सब्जी इतनी अच्छी बनाते कि सभी दोस्त तारीफ किए बिना नहीं रहते। उनकी हर पार्टी में यह सब्जी जरूर होती।
संवेदनशील व्यक्तित्व और मुश्किल के साथी : उस दिन बेहद मुश्किल का क्षण था। चन्द्रशेखर के मकान मालिक सैम का अचानक एक्सीडेंट हो गया। उस समय चन्द्रशेखर आटोमेटिक गाड़ी चलाना जानते थे। अस्पताल जाने के लिए अपने एक परिचित की गाड़ी मांगी। खूब बारिश हो रही थी और वह घबराहट में भी थे। तभी अखिलेश को पता चला तो वह भी साथ चल दिए। ड्राइविंग करते समय चन्द्रशेखर से गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया। अखिलेश ने उनको तसल्ली दी और खुद ड्राइव कर अस्पताल तक ले गए।
बच्चों से लगाव : अखिलेश को बच्चों से बहुत लगाव है। चन्द्रशेखर के मकान मालिक सैम के बच्चों के जन्मदिन पर अखिलेश और वह मिल जुलकर केक काटते और उनको गिफ्ट देते। इसी तरह डेविड के बच्चों के जन्म दिन पर भी वह लोग मिलकर आयोजन करते।
मेधावी विद्यार्थी और सादा जीवन : चन्द्रशेखर बताते हैं कि अखिलेश पढ़ाई में बहुत रुचि लेते थे। अपना हर असाइनमेंट पूरा करते थे। उनका जीवन इतना सादा था कि मेट्रो जैसी सेवा का प्रयोग करते थे। वह टंगारा से ही यात्रा करते थे।
पर्यावरण में गहरी रुचि : अखिलेश की पर्यावरण में गहरी रुचि है। आस्ट्रेलिया में क्रीक (नहरों) के किनारे पेड़ पौधे और फूलों को देखकर वह बहुत खुश होते और भारत के लिए उसी तरह की परिकल्पना करते।
लखनऊ, 11 मार्च : सैंतीस साल के चन्द्रशेखर सिंह के अलबम में यूपी के होने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जुड़ी अनगिनत यादें हैं। आस्ट्रेलिया में पढ़ते समय दोनों एक साथ अगल-बगल पेइंग गेस्ट बनकर रहे। दोनों ने सुख-दुख साझा किया। उन दिनों मुलायम सिंह यादव भारत सरकार के रक्षा मंत्री थे, लेकिन अखिलेश ने अपनी सादगी से कभी चन्द्रशेखर को अहसास नहीं होने दिया कि उन दोनों की हैसियत में जमीन-आसमान का अंतर है। उनके इसी बड़प्पन को चन्द्रशेखर आज तक भूल नहीं पाए हैं और अब भी उनकी दोस्ती की गांठ उतनी ही मजबूत है। 1/2 फैजाबाद रोड, शिवस्थली में रहने वाले चन्द्रशेखर बैंकिंग ट्रेड से जुड़े हैं।
पहली मुलाकात : 1996 में चन्द्रशेखर यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न सिडनी से एमबीए करने गए थे। उन्हीं दिनों अखिलेश यादव ने यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में एमटेक में दाखिला लिया। अखिलेश के हास्टल के रूम पार्टनर दीपक और चन्द्रशेखर के रूम पार्टनर सुनील धींगरा दिल्ली के रहने वाले थे। अखिलेश ने आस्ट्रेलिया पहंुचते ही भारतीयों को एकत्र करना शुरू किया। तभी दीपक और सुनील ने अखिलेश और चन्द्रशेखर की मुलाकात कराई। फिर धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे से मिलने जुलने और फोन पर बातें करने लगे।
छोड़ा हॉस्टल : उस समय चन्द्रशेखर डेनट्रे ड्राइव में पेइंग गेस्ट थे। दोनों के बीच अपनी दिनचर्या को लेकर बातें होती। लगभग ढाई तीन महीने बाद अखिलेश ने हास्टल छोड़ दिया। चन्द्रशेखर के संदर्भ से वह उनके पड़ोस में आस्ट्रेलियन और फिजी इंडियन दंपती डेविड और रश्मि के पेइंग गेस्ट बन गए। अगल-बगल आने के बाद दोनों की नजदीकियां बढ़ती गई। तभी पता चला कि इस नौजवान के दिल में जो ख्वाब पल रहे हैं, उसका सिरा उत्तर प्रदेश की तकदीर से जुड़ा है।
आलू की रसेदार सब्जी और भारतीय प्रेम : आस्ट्रेलिया में अखिलेश का भारतीय प्रेम हर दिन बढ़ता गया। देसी खाने की याद उन्हें खूब आती और उन्होंने किचन में भी अपना दखल दिया। आलू-मटर की रसेदार सब्जी इतनी अच्छी बनाते कि सभी दोस्त तारीफ किए बिना नहीं रहते। उनकी हर पार्टी में यह सब्जी जरूर होती।
संवेदनशील व्यक्तित्व और मुश्किल के साथी : उस दिन बेहद मुश्किल का क्षण था। चन्द्रशेखर के मकान मालिक सैम का अचानक एक्सीडेंट हो गया। उस समय चन्द्रशेखर आटोमेटिक गाड़ी चलाना जानते थे। अस्पताल जाने के लिए अपने एक परिचित की गाड़ी मांगी। खूब बारिश हो रही थी और वह घबराहट में भी थे। तभी अखिलेश को पता चला तो वह भी साथ चल दिए। ड्राइविंग करते समय चन्द्रशेखर से गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया। अखिलेश ने उनको तसल्ली दी और खुद ड्राइव कर अस्पताल तक ले गए।
बच्चों से लगाव : अखिलेश को बच्चों से बहुत लगाव है। चन्द्रशेखर के मकान मालिक सैम के बच्चों के जन्मदिन पर अखिलेश और वह मिल जुलकर केक काटते और उनको गिफ्ट देते। इसी तरह डेविड के बच्चों के जन्म दिन पर भी वह लोग मिलकर आयोजन करते।
मेधावी विद्यार्थी और सादा जीवन : चन्द्रशेखर बताते हैं कि अखिलेश पढ़ाई में बहुत रुचि लेते थे। अपना हर असाइनमेंट पूरा करते थे। उनका जीवन इतना सादा था कि मेट्रो जैसी सेवा का प्रयोग करते थे। वह टंगारा से ही यात्रा करते थे।
पर्यावरण में गहरी रुचि : अखिलेश की पर्यावरण में गहरी रुचि है। आस्ट्रेलिया में क्रीक (नहरों) के किनारे पेड़ पौधे और फूलों को देखकर वह बहुत खुश होते और भारत के लिए उसी तरह की परिकल्पना करते।