आनन्द राय
लखनऊ, 11 दिसंबर : भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अन्ना हजारे के आंदोलन को लेकर पूरा देश उद्वेलित है, लेकिन सूबे की सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने वाले हाथ बांध दिए हैं। भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एसीओ) ने एलडीए, केडीए और स्वास्थ्य समेत विभिन्न विभागों के भ्रष्टाचार की 35 फाइलें सरकार के पास भेजकर खुली जांच की अनुमति मांगी है पर सरकार इनको दबाए बैठी है।
एसीओ, सीबीसीआइडी व विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति सरकार देती है। सूत्रों के मुताबिक एसीओ ने विभिन्न विभागों की शिकायतों, अभिसूचना संकलन और सर्वेक्षण के आधार पर खुली जांच के लिए इस वर्ष 35 फाइलें तैयार कीं। साल बीतने को है मगर सरकार की ओर से केवल 12 मामलों की खुली जांच की अनुमति मिल सकी है। बताते हैं कि एसीओ व सरकार के बीच सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। बीते दिनों उच्चाधिकारियों की एक बैठक हुई जिसमें एसीओ के महानिदेशक अतुल भी शामिल हुए। इस बैठक में एसीओ की भूमिका को लेकर कई सवाल खड़े हुए और एक शीर्ष अधिकारी ने दायरे में रहने तक की नसीहत दे डाली। एसीओ के बारे में बैठक में कहा गया कि वह सरकार के संज्ञान में मामला डाले बिना अपनी रिपोर्ट भेजते हैं, जबकि विजिलेंस और सीबीसीआइडी के लोग सभी सूचनाएं मुहैया कराते हैं। एसीओकी ओर से कहा गया कि जब किसी मामले में मुकदमा दर्ज हो जाता तो पूरा मामला एसीओ व कोर्ट के बीच हो जाता है। सूत्रों के अनुसार एसीओ के महानिदेशक के अधिकार क्षेत्र को लेकर सरकारी तंत्र विचार-विमर्श कर रहा है और खबर यह भी है कि विजिलेंस एक्ट की तरह इस संगठन में भी कुछ बदलाव की भूमिका बन रही है। नजर डालें तो वर्ष 2010 में करीब 300 मामलों की जांच, विवेचना और सूचनाओं का सत्यापन एसीयू ने किया है। इस साल एसीओ अभी तक 230 मामलों की ही जांच, विवेचना और सूचनाओं का सत्यापन कर सका है। अभी इनके पास 160 मामले लंबित हैं, जिसमें शासन की ओर से दी गई 12 जांचें भी शामिल हैं। बताते हैं कि 1977 के एक शासनादेश के तहत यह व्यवस्था दी गई कि किसी विभाग का प्रमुख सचिव और यहां तक कि जिलाधिकारी भी एसीओ को जांच दे सकता है, लेकिन मौजूदा समय में सब कुछ पहरे में है!
लखनऊ, 11 दिसंबर : भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अन्ना हजारे के आंदोलन को लेकर पूरा देश उद्वेलित है, लेकिन सूबे की सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने वाले हाथ बांध दिए हैं। भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एसीओ) ने एलडीए, केडीए और स्वास्थ्य समेत विभिन्न विभागों के भ्रष्टाचार की 35 फाइलें सरकार के पास भेजकर खुली जांच की अनुमति मांगी है पर सरकार इनको दबाए बैठी है।
एसीओ, सीबीसीआइडी व विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति सरकार देती है। सूत्रों के मुताबिक एसीओ ने विभिन्न विभागों की शिकायतों, अभिसूचना संकलन और सर्वेक्षण के आधार पर खुली जांच के लिए इस वर्ष 35 फाइलें तैयार कीं। साल बीतने को है मगर सरकार की ओर से केवल 12 मामलों की खुली जांच की अनुमति मिल सकी है। बताते हैं कि एसीओ व सरकार के बीच सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। बीते दिनों उच्चाधिकारियों की एक बैठक हुई जिसमें एसीओ के महानिदेशक अतुल भी शामिल हुए। इस बैठक में एसीओ की भूमिका को लेकर कई सवाल खड़े हुए और एक शीर्ष अधिकारी ने दायरे में रहने तक की नसीहत दे डाली। एसीओ के बारे में बैठक में कहा गया कि वह सरकार के संज्ञान में मामला डाले बिना अपनी रिपोर्ट भेजते हैं, जबकि विजिलेंस और सीबीसीआइडी के लोग सभी सूचनाएं मुहैया कराते हैं। एसीओकी ओर से कहा गया कि जब किसी मामले में मुकदमा दर्ज हो जाता तो पूरा मामला एसीओ व कोर्ट के बीच हो जाता है। सूत्रों के अनुसार एसीओ के महानिदेशक के अधिकार क्षेत्र को लेकर सरकारी तंत्र विचार-विमर्श कर रहा है और खबर यह भी है कि विजिलेंस एक्ट की तरह इस संगठन में भी कुछ बदलाव की भूमिका बन रही है। नजर डालें तो वर्ष 2010 में करीब 300 मामलों की जांच, विवेचना और सूचनाओं का सत्यापन एसीयू ने किया है। इस साल एसीओ अभी तक 230 मामलों की ही जांच, विवेचना और सूचनाओं का सत्यापन कर सका है। अभी इनके पास 160 मामले लंबित हैं, जिसमें शासन की ओर से दी गई 12 जांचें भी शामिल हैं। बताते हैं कि 1977 के एक शासनादेश के तहत यह व्यवस्था दी गई कि किसी विभाग का प्रमुख सचिव और यहां तक कि जिलाधिकारी भी एसीओ को जांच दे सकता है, लेकिन मौजूदा समय में सब कुछ पहरे में है!
1 टिप्पणी:
आनंद जी, कल हमारी आपकी बात हुई थी, आज मैं सोचा की ब्लॉग जगत में खोजू आप मिलते है की नहीं, पर आप मिले और मिलकर अच्छा लगा की आप एक अच्छे लेखक है. ख़ुशी तब और होगी जब आप हमारे ब्लॉग परिवार यानि भारतीय ब्लॉग लेखक मंच में शामिल हो.
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