आनन्द राय
लखनऊ, 5 दिसंबर : एनआरएचएम घोटाले में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा पर सीबीआइ का शिकंजा कसता जा रहा है। उनके करीबी रहे सांसद, विधायक व ठेकेदारों की भी जांच-पड़ताल चल रही है। सीबीआइ जिलों और विभिन्न इकाइयों से मिले दस्तावेजों की पड़ताल कर यह ब्योरा तैयार कर रही है कि किन-किन सांसद-विधायक के करीबी ठेकेदारों ने एनआरएचएम के तहत निर्माण, आपूर्ति व दवा खरीद का कार्य किया है और अवैध कमाई कहां पहुंचाई गई है।
बाबू सिंह कुशवाहा के बेहद करीबी रहे पीसीएफ चेयरमैन, एमएलसी रामचंद्र प्रधान की पत्नी के नाम पर बने फर्म पर ठेकेदारी का मामला प्रकाश में आने के बाद सीबीआइ ने जिलों की ओर रुख कर दिया है। सीबीआइ को खबर है कि बाबू सिंह कुशवाहा के प्रभाव में करोड़ों के कार्य चहेतों में बांटे गए हैं। हफ्ते भर में पचास से अधिक जिलों के दस्तावेज सीबीआइ के पास आये हैं। सीबीआइ ने पैक्सफेड के जरिए काम करने वालों का भी ब्यौरा हासिल किया है।
सीबीआइ को अंदेशा है कि जिस तरह एनआरएचएम के पैसे का भुगतान नमित टंडन की फर्म के नाम पर हुआ और उसे एमएलसी तक पहंुचाया गया, उसी तरह का कार्य सूबे के कई जिलों में अलग-अलग फर्मो से हुआ है। इसी कारण सीबीआइ की ध्यान अब जनप्रतिनिधियों और बिचौलियों पर केन्दि्रत है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ एनआरएचएम के तहत कार्य करने वाले ठेकेदारों के विधायक रामप्रसाद जायसवाल व मुख्तार अंसारी, एमएलसी प्रदीप सिंह व रामू द्विवेदी तथा सांसद धनंजय सिंह के अलावा दो दर्जन से अधिक विधायकों व सांसदों से रिश्तों की पड़ताल कर रही है। रामप्रसाद जायसवाल का नाम सीबीआइ की खास सूची में हैं। जांच एजेंसी जानने में जुटी है कि क्या ठेकेदारों की लेनदेन का कोई सिरा जनप्रतिनिधियों से जुड़ा है।
प्रधान से होगी पूछताछ : सीबीआइ एमएलसी रामचंद्र प्रधान से भी पूछताछ करेगी। प्रधान ने अपने प्रभाव में किसको-किसको ठेका दिलवाया। नमित टण्डन से उनके क्या रिश्ते रहे हैं। ठेकेदार को अपनी फर्म देने का उनका उद्देश्य क्या रहा है। क्या नाम छिपाने के लिए उन्होंने नमित टण्डन पर वाकई दबाव डाला।
आगा रिजवान को हिरासत में लेने की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ दूसरों के नाम पर ठेकेदारी करने वाले आगा रिजवान को हिरासत में लेने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा हफ्ते भीतर पूछताछ के लिए दो दर्जन से अधिक ठेकेदारों और पैक्सफेड के अभियंताओं समेत कई अन्य लोगों से पूछताछ करेगी।
(माननीयों की अकूत संपत्ति पर भी नजर- पेज 11)
लखनऊ, 5 दिसंबर (जाब्यू) : सीबीआइ के निशाने पर माननीयों की आय से अधिक संपत्ति भी है। सीबीआइ ने होमवर्क में एक दर्जन से अधिक जनप्रतिनिधियों की हैसियत आंकी है, जो एक दशक में कई गुना बढ़ गयी है। सीबीआइ की टीम कभी भी इनके यहां छापेमारी कर सकती है।
कौन हैं रामचंद्र प्रधान : लखनऊ के मलिहाबाद क्षेत्र के निवासी रामचंद्र प्रधान के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत लखनऊ विश्र्वविद्यालय की छात्र राजनीति से हुई। फिर उन्होंने बसपा की राजनीति शुरू की और लखनऊ का उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया। प्रधान ने न केवल एमएलसी बनने से लेकर पीसीएफ चेयरमैन तक का सफर किया, बल्कि अपने भाई को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में भी कामयाब रहे।
प्रधान की पत्नी भी एक सहकारी बैंक की अध्यक्ष हैं। बाबू सिंह कुशवाहा की जब सरकार में तूती बोलती थी, तब उनके हमकदम के रूप में प्रधान का भी जलवा कम नहीं था। अभी भी प्रधान को अपनी हैसियत का गुमान है और उनका आर्थिक साम्राज्य भी राजनीतिक रुतबे की तरह ही बढ़ा है।
लखनऊ, 5 दिसंबर : एनआरएचएम घोटाले में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा पर सीबीआइ का शिकंजा कसता जा रहा है। उनके करीबी रहे सांसद, विधायक व ठेकेदारों की भी जांच-पड़ताल चल रही है। सीबीआइ जिलों और विभिन्न इकाइयों से मिले दस्तावेजों की पड़ताल कर यह ब्योरा तैयार कर रही है कि किन-किन सांसद-विधायक के करीबी ठेकेदारों ने एनआरएचएम के तहत निर्माण, आपूर्ति व दवा खरीद का कार्य किया है और अवैध कमाई कहां पहुंचाई गई है।
बाबू सिंह कुशवाहा के बेहद करीबी रहे पीसीएफ चेयरमैन, एमएलसी रामचंद्र प्रधान की पत्नी के नाम पर बने फर्म पर ठेकेदारी का मामला प्रकाश में आने के बाद सीबीआइ ने जिलों की ओर रुख कर दिया है। सीबीआइ को खबर है कि बाबू सिंह कुशवाहा के प्रभाव में करोड़ों के कार्य चहेतों में बांटे गए हैं। हफ्ते भर में पचास से अधिक जिलों के दस्तावेज सीबीआइ के पास आये हैं। सीबीआइ ने पैक्सफेड के जरिए काम करने वालों का भी ब्यौरा हासिल किया है।
सीबीआइ को अंदेशा है कि जिस तरह एनआरएचएम के पैसे का भुगतान नमित टंडन की फर्म के नाम पर हुआ और उसे एमएलसी तक पहंुचाया गया, उसी तरह का कार्य सूबे के कई जिलों में अलग-अलग फर्मो से हुआ है। इसी कारण सीबीआइ की ध्यान अब जनप्रतिनिधियों और बिचौलियों पर केन्दि्रत है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ एनआरएचएम के तहत कार्य करने वाले ठेकेदारों के विधायक रामप्रसाद जायसवाल व मुख्तार अंसारी, एमएलसी प्रदीप सिंह व रामू द्विवेदी तथा सांसद धनंजय सिंह के अलावा दो दर्जन से अधिक विधायकों व सांसदों से रिश्तों की पड़ताल कर रही है। रामप्रसाद जायसवाल का नाम सीबीआइ की खास सूची में हैं। जांच एजेंसी जानने में जुटी है कि क्या ठेकेदारों की लेनदेन का कोई सिरा जनप्रतिनिधियों से जुड़ा है।
प्रधान से होगी पूछताछ : सीबीआइ एमएलसी रामचंद्र प्रधान से भी पूछताछ करेगी। प्रधान ने अपने प्रभाव में किसको-किसको ठेका दिलवाया। नमित टण्डन से उनके क्या रिश्ते रहे हैं। ठेकेदार को अपनी फर्म देने का उनका उद्देश्य क्या रहा है। क्या नाम छिपाने के लिए उन्होंने नमित टण्डन पर वाकई दबाव डाला।
आगा रिजवान को हिरासत में लेने की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ दूसरों के नाम पर ठेकेदारी करने वाले आगा रिजवान को हिरासत में लेने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा हफ्ते भीतर पूछताछ के लिए दो दर्जन से अधिक ठेकेदारों और पैक्सफेड के अभियंताओं समेत कई अन्य लोगों से पूछताछ करेगी।
(माननीयों की अकूत संपत्ति पर भी नजर- पेज 11)
लखनऊ, 5 दिसंबर (जाब्यू) : सीबीआइ के निशाने पर माननीयों की आय से अधिक संपत्ति भी है। सीबीआइ ने होमवर्क में एक दर्जन से अधिक जनप्रतिनिधियों की हैसियत आंकी है, जो एक दशक में कई गुना बढ़ गयी है। सीबीआइ की टीम कभी भी इनके यहां छापेमारी कर सकती है।
कौन हैं रामचंद्र प्रधान : लखनऊ के मलिहाबाद क्षेत्र के निवासी रामचंद्र प्रधान के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत लखनऊ विश्र्वविद्यालय की छात्र राजनीति से हुई। फिर उन्होंने बसपा की राजनीति शुरू की और लखनऊ का उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया। प्रधान ने न केवल एमएलसी बनने से लेकर पीसीएफ चेयरमैन तक का सफर किया, बल्कि अपने भाई को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में भी कामयाब रहे।
प्रधान की पत्नी भी एक सहकारी बैंक की अध्यक्ष हैं। बाबू सिंह कुशवाहा की जब सरकार में तूती बोलती थी, तब उनके हमकदम के रूप में प्रधान का भी जलवा कम नहीं था। अभी भी प्रधान को अपनी हैसियत का गुमान है और उनका आर्थिक साम्राज्य भी राजनीतिक रुतबे की तरह ही बढ़ा है।
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