मुंबई विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष आचार्य रामजी तिवारी ने प्रभाष जोशी को रुंधे गले से याद करते हुए जब कहा- चाहे जितना कह जाएँ, अनकहा बहुत रह जाएगा. तब सबकी आँखे नम थीं. प्रभाष जी के साथ के कई प्रेरक प्रसंगों को सुनाते हुए वे बेहद भावुक थे. उन्होंने उनके समग्र व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला.
आचार्य तिवारी गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब द्वारा : आजादी के बाद की पत्रकारिता और प्रभाष जोशी.: विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रभाष जी ने अपनी भाषा के जरिये पाठक से आत्मीय रिश्ता बनाया.
पूर्व अध्यक्ष पीयूष बका ने कहा कि वे ग्रामीण पत्रकारों को भी सशक्त करना चाहते थे. राष्ट्रीय सहारा के संपादक मनोज तिवारी ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए पटना और देल्ली के कई संस्मरण सुनाये. सञ्चालन कर रहे प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष सर्वेश दुबे ने आजादी के बाद की पत्रकारिता में प्रभाष जोशी के योगदान पर प्रकाश डाला. प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ल ने प्रभाष जी के गोरखपुर से जुडाव की चर्चा की. जनसत्ता के ब्यूरो चीफ एस. के. सिंह ने प्रभाष जोशी से मिली दीक्षा को याद करते हुए भावांजलि दी. मंत्री धीरज श्रीवास्तव ने आभार ज्ञापित किया. इस अवसर पर राष्ट्रीय सहारा के प्रमुख संवाददाता धर्मेन्द्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अजय श्रीवास्तव, दैनिक जागरण के छायाकार अभिनव चतुर्वेदी, मोहन राव , श्रीकृष्ण त्रिपाठी, नवीन लाल, समेत कई प्रमुख पत्रकारों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. अतिथियों ने प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ल और मंत्री धीरज श्रीवासतव को इस बड़े आयोजन के लिए आभार जताया.
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