5 नव॰ 2009

आमी के लिए जागा पूर्वांचल

        आनन्द  राय , गोरखपुर          


     

          आमी नदी से कितने जीवन जुड़े हैं इसका कोई आंकडा नहीं है. यह नदी मुझे बार बार अपनी ओर खींचती है. सिसक रही इस नदी को जीवन देने के लिए जनता जाग उठी है. गाँव जाग उठे हैं. नगर डगर सब ओर जाग्रति है. बस कोई सो रहा है तो वह है सरकार. सिर्फ माया बहन जी की ही सरकार नहीं. ढाई दशक में जितनी भी सरकारें आयी सब सो रही हैं. आमी ऐतिहासिक नदी है. इससे बुद्ध , कबीर , नानक और गोरक्षनाथ का नाता है. मैं जहां रहता हूँ वहां से सिर्फ ५२ किलोमीटर की दूरी पर कुशीनगर में बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ. ८० किलोमीटर दूर कपिलवस्तु है जहां उनका आविर्भाव हुआ. इस दूरी के बीच यह  नदी बहती है. पहले उसे अनोमा के नाम से जानते थे. अब वह आमी कहलाती है. वैराग्य के लिए यही नदी राजकुमार सिद्धार्थ की प्रेरक बनी. सिद्धार्थनगर जिले के सोह्नारा में राप्ती नदी की छाडन से निकल कर यह गोरखपुर जिले के सोहगौरा में राप्ती नदी में ही मिल जाती है. जब जीवन के प्रश्नों ने राजकुमार सिद्धार्थ को व्याकुल कर दिया और जवाब की तलाश में अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़ घर से निकले तो पहली बार इसी नदी के तट पर उनके कदम ठिठके. उन्होंने अपने राजसी वस्त्र उतारे, केश को काट दिया और सब कुछ सारथी को सौंप कर ज्ञान की खोज में चल पड़े. यह नदी उनके संकल्पों की साक्षी बनी. इसी नदी के तट पर मगहर में अपने आख़िरी दिनों में कबीर दास आये. यहाँ उनकी मजार और समाधि दोनों है. अभी इसी २ अक्टूबर को मगहर में गुरूद्वारा भगत कबीर की बुनियाद रखी गयी. नदी और स्त्री एक तरह होती है. आमी नदी गाँव की गंगा की तरह थी.
   
इधर दो दशक में इस नदी को औद्योगिक इकाइयों के अपजल से प्रदूषित कर दिया गया. विकास की रफ़्तार में सदियों की गौरव गाथा समेटने वाली आमी को बदरंग कर दिया गया. तीन जनवरी से इस नदी की मुक्ति के लिए मैंने एक अभियान शुरू किया. इस बीच मैं नदी तट पर बसे गाँवों में गया. वहां लोगों की पीडा देखी. जिल्लत भरी जिन्दगी और लोगों को दुखों का पहाड़ उठाते देखा. आमी नदी जिसका रिश्ता लोगों के चौके और चूल्हे से था उसे टूटते और दरकते देखा. मैंने देखा कि प्यास और सांस दोनों पर पहरा लगा दिया गया है. गाँवों के अन्दर घुसने पर दुनियादारी की किचकिच साफ़ साफ़ सुनी. दुबले, मर्झल्ले और नंगे बच्चों की चीख सुनी. कच्ची दारू के सुरूर में निठल्ले हो चुके उनके बापों के खौफ की आंच में अदहन सी खौलती उनकी माँओं की कातर पुकार भी सुनी. आमी की तरह उन औरतों को भी तड़पते देखा जो सेवार, जलकुम्भी और मरे हुए जानवरों के दुर्गन्ध के बीच सिसक सिसक कर जी रही हैं. रोग की जकड में फंसे हुए लोगों की कराह भी सुनी. ३ जनवरी २००९ से लगातार इस नदी की पीडा को शब्दों की शक्ल दे रहा हूँ. पर मेरी आवाज इस आंचलिक परिधि से बाहर नहीं निकल रही है. अगर आमी तट के गाँवों में जहां सरकारी तंत्र कभी नजर नहीं डालता, जहां जनप्रतिनिधि उद्यमियों के प्रभाव में अपने होठ पर ताला डाले पड़े हैं, वहां एक नजर ऐसी चाहिए जो बुद्ध को समझ सके. जो चेतना की यात्रा को समझ सके. जो इस ठहराव को समझ सके और यह भी समझ सके कि अब सडन बर्दाश्त के बाहर हो गयी है. यकीन जानिए- अगर कभी फुरसत लेकर आप सबने  पल-दो-पल इस मैले हो चुके आमी के आँचल को छूने की कोशिश की तो एक नये बुद्ध का साक्षात्कार होगा. वह आपके लिए नयी अनुभूति होगी.


संघर्ष का शंखनाद
कार्यालय संवाददाता, गोरखपुर : औद्योगिक इकाइयों के अपजल से प्रदूषित हो गयी ऐतिहासिक आमी नदी की मुक्ति के लिए बुधवार को जनता और जनप्रतिनिधि एक साथ सड़क पर उतर पडे़। तटवर्ती गांवों से भारी तादात में निकली जनता ने मण्डलायुक्त कार्यालय परिसर में पहुंचकर आमी की मुक्ति के लिए निर्णायक संघर्ष का शंखनाद किया। साथ में सतुआ-पिसान लेकर पहुंचे लोगों ने अपने इरादे को साकार करने के लिए डेरा डालो-घेरा डालो आंदोलन शुरू कर दिया है जो लगातार तीन दिन तक चलेगा। आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्र्वविजय सिंह के नेतृत्व में शुरू हुए डेरा डालो-घेरा डालो आंदोलन को ताकत देने में जनप्रतिनिधियों और नेताओं की दलीय प्रतिबद्धता आड़े नहीं आयी। आंदोलन में शामिल होकर सदर सांसद और गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्य नाथ, बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान, भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी विनोद पाण्डेय, वामपंथी नेता यशवंत सिंह और परिवर्तन कामी छात्र संगठन के चक्रपाणि ओझा ने जनता की आवाज को बल देते हुये सरकार के रवैये के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। आमी बचाओ मंच के आह्वान पर डेरा डालो घेरा डालो आंदोलन को निर्णायक बनाने के संकल्प के साथ भुसवल, जरलही, डोमाघाट सोहगौरा, बांसगांव, कंदराई, बरवल, महुआडाबर समेत कई तटवर्ती गांवों की जनता बस, ट्रैक्टर-टाली, जीप, टैम्पो, मोटरसाइकिल से मण्डलायुक्त कार्यालय में उमड़ पड़ी। गांव की गंगा को बचाने के लिए महिलाएं मन की ताकत लेकर आयी थीं। सतुआ पिसान के साथ तीन दिन तक टिके रहने और अपनी आवाज को सरकार तक पहंुचाने की उनकी मंशा ने इस अनोखे आंदोलन को बल दिया। 11 बजे डोमा घाट कुटी के पुजारी संत रामलखन दास ने संकल्प दीप प्रज्ज्वलित कर आंदोलन की विधिवत शुरूआत की तो अविरल आमी-निर्मल आमी का नारा गूंज उठा। आंदोलन में वे महिलाएं भी आयीं जिन्होंने आमी के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों को चूडि़यां पहनायी थी। जरलही की कुंता देवी, भुसवल की रामसिंगारी, जरलही की सहदेई, सुभावती, रंभा, गुडडी देवी और कंुता जैसी कई महिलाएं थीं जो चीख चीख कर कह रही थीं- अब हमनी के साहब लोग के घरे में गंदा पानी डालब तब उनका के बुझाई.। अपनी आस्था को एक मुकाम देने और गांव की गंगा को बचाने की उनकी जिद में निसंदेह एक गूंज थी। खुफिया एजेंसियों के लोग आंदोलनकारियों का तेवर पता कर रहे थे। ठीक उसी वक्त गगनभेदी नारों के बीच फरुवाही कलाकार छेदी यादव के गीत के बोल सुनायी पड़े- काटल जाई चलिके जेलखनवा, अपने आमी के करनवा...। यकीनन सभी लोग इस मंसूबे के साथ आंदोलन में उतरे हैं कि अब आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे, चाहे जो कुर्बानी देनी पड़े। रात को जब कमिश्नर कार्यालय में चूल्हा सुलगा और एक साथ सभी लोग भोजन पर जमे तो यह साफ लगा कि गांवों की जनता सचमुच जाग उठी है।



आमी के लिए सड़क से संसद तक होगी लड़ाई : योगी
कार्यालय संवाददाता, गोरखपुर : गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी और सदर सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आमी नदी की समस्या का समाधान न होना सरकार की विफलता का प्रतीक है। सरकार संवेदनहीन है और आर्थिक गठजोड़ के कारण उसके हाथ पांव बंधे हैं। योगी आदित्यनाथ बुधवार को मण्डलायुक्त कार्यालय परिसर में आमी बचाओ मंच के तीन दिवसीय डेरा डालो-घेरा डालो आंदोलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आमी बचाओ मंच के आंदोलन से नदी की मुक्ति की उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के लिए हम सड़क से लेकर संसद तक कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। सभा की अध्यक्षता करते हुये आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्र्वविजय सिंह ने कहा कि जनता ने हमारे संघर्ष को एक नयी धार दी है। इसी ताकत के बल पर हम अपने मुकाम तक पहंुचेंगे। बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान ने कहा कि गरीब किसान और मजदूरों का जन जीवन नदी के प्रदूषण से बदहाल हो गया है। उनके जीवन को लय देने के लिए हम आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व एमएलसी विनोद पाण्डेय ने कहा कि मैंने परिषद में पहला सवाल आमी के प्रदूषण पर लगाया था। सरकार महापुरुषों के सम्मान का ढोंग करती है जबकि आमी तट से महापुरुषों का रिश्ता जुड़ा हुआ है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष उपेन्द्र दत्त शुक्ल ने कहा कि आमी हमारे लिए राजनीति का नहीं बल्कि आस्था का सवाल है। सभा को राधेश्याम सिंह, जनसम्पर्क प्रमुख संजय सिंह, सुनील सिंह, बलवीर सिंह,विश्र्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष समीर कुमार सिंह, बधु उपेन्द्र नाथ सिंह, पूर्व उपाध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह, अरुण सिंह, विकास सिंह, फौजदार यादव, सूर्यप्रकाश कौशिक, विनय सिंह, श्याम सिंह, रामलौट निषाद, मंजू देवी, लक्ष्मी नारायण दुबे, विनय राम त्रिपाठी, चंदा देवी, राम जगत निषाद, रामचन्द्र निषाद, ब्रजमोहन निषाद समेत कई प्रमुख लोगों ने सम्बोधित किया।

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