29 जून 2009

सियासी दलों की सेहत का पैमाना बनेगा पड़रौना

आनंद राय , गोरखपुर :
पड़रौना विधानसभा का उप चुनाव पूर्वाचल में सियासी दलों की सेहत का पैमाना होगा। इस चुनाव को लेकर राजनीति दलों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। यह चुनाव केन्द्र सरकार के राज्यमंत्री और पड़रौना के निवर्तमान विधायक आर.पी.एन. सिंह की प्रतिष्ठा से जुड़ा है वहीं प्रदेश में सत्तारुढ़ बहुजन समाज पार्टी के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। भाजपा और सपा भी इस चुनाव को लक्ष्य कर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। कुशीनगर संसदीय सीट पर कांग्रेस के आर.पी.एन. सिंह के निर्वाचित होने से पड़रौना विधानसभा सीट रिक्त घोषित हो गयी है। अब इस सीट के लिए सभी दलों ने उम्मीदवार चयन और कार्यकर्ताओं को सहेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चूंकि यहां तीन बार विधायक रहे आर.पी.एन. सिंह अब केन्द्र सरकार में मंत्री हैं इसलिए इस सीट पर सबसे अधिक उन्हीं की प्रतिष्ठा जुड़ी है। वर्ष 2007 में हुये चुनाव में आर.पी.एन. सिंह को 29913 मत मिले थे और उन्हें बसपा के आद्या शुक्ला ने कड़ी टक्कर दी थी। आद्या शुक्ला को 24494 मत मिले थे। महज 5419 मतों के अंतर से बसपा यहां काबिज नहीं हो पायी। तब भाजपा से सुरेन्द्र कुमार शुक्ल उम्मीदवार थे और उन्हें भी 21515 मत मिले थे। समाजवादी पार्टी के प्रसिद्ध नारायण चौहान 18572 मत पाकर पांचवें स्थान पर आ गये थे। उनसे अधिक मत एनएलपी के जावेद इकबाल को मिला। जावेद इकबाल 20945 मत पाये। समाजवादी पार्टी के सिमटने की सबसे बड़ी वजह निर्दल उम्मीदवार विक्रमा यादव बने जिन्हें 14019 मत मिले। पड़रौना विधानसभा उप चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार राजन को 3166 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सगीर को 2412 मत मिले जबकि इनके सापेक्ष भारतीय समाज पार्टी के अभय प्रताप नारायण सिंह को 5326 मत मिले। चुनाव में कुल 14 उम्मीदवार मैदान में थे। लोकसभा चुनाव में पड़रौना विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन बदल गया। बदले हुये परिसीमन में लोकसभा चुनाव हुआ और तब बसपा उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्य का प्रदर्शन बेहतर रहा। हालांकि विधानसभा का उप चुनाव पुराने परिसीमन पर होना है इसलिए रणनीतिकार पिछले विधानसभा चुनाव और क्षेत्र के हिसाब से ही अपना समीकरण खड़ा कर रहे हैं। अब बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट को हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है और अभी से सेक्टर स्तर पर कार्य हो रहा है। पार्टी ने स्वामीप्रसाद मौर्य का अपना उम्मीदवार बनाकर जनसम्पर्क में लगा दिया है तो इस सीट को कायम रखने के लिए आर.पी.एन. सिंह ने भी ताना बाना बुनना शुरू कर दिया है। उधर सपा ने भी इस बार अपनी रणनीति बदली है और पूर्व मंत्री शाकिर अली को अपना उम्मीदवार बनाकर नया संदेश देने की कोशिश की है। शाकिर इससे पूर्व देवरिया जिले के गौरीबाजार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं। भाजपा के अलावा छोटे दलों का भी उत्साह दिखने लगा है।

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