21 सित॰ 2008

सात साल पहले छपी ख़बर


आज़मगढ़ में अबू और दाऊद ने देशद्रोहियो की फौज खडी की. इस शीर्षक से मेरी एक रपट दैनिक जागरण गोरखपुर के 19 अगस्त 2001 के अंक में पहले पेज पर छपी. खुफिया एजेंसियों के हवाले से छपी यह रपट जागरण के और भी अंको में छपी. इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि आज़मगढ़ में आतंकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन दिनो फैजाबाद के एक विस्फोट के चलते पुलिस सक्रिय हुई थी और आजमगढ़ के कई संदिग्ध लोग उठाये गये थे. पर बाद में सब कुछ ठंडे बस्ते मे डाल दिया गया. अब जब ताजा बम विस्फोट की असलियत खुली है तब फिर से आजमगढ़ सुर्खियो में आ गया है. आजमगढ़ ने पूरी दुनिया को संदेश दिया. राहुल, हरिऔध, कैफी जैसे शब्दो के जादूगर ने जीने की राह सिखायी. पर कुछ गिने चुने लोगो ने इस ऐतिहासिक किले को दागदार बना दिया. इसी माटी से गिरमिटिया मजदूर बन कर गये लोगो ने दूसरे देशो में अपनी हुकूमत चलायी. त्रिनिदाद के वासुदेव पांडेय अहीर का नाम किसी से छिपा नही है. सात साल पहले मैने जो रिपोर्ट आजमगढ़ के बारे में लिखी उसे लेकर कुछ लोगो ने सवाल उठाये. चूंकि उसमे किसी अधिकारी का कोई वर्जन नही था और रिपोर्ट खुफिया एजेंसी के हवाले से थी इसलिये इसे मेरी दिमाग का उपज बताया गया. अखबार से जुडे एक आदमी ने मुझे नसीहत भी दी कि ऐसी खबरों से बचना चाहिये. कभी मैने हिंदू और मुसलमान के नजरिये से कोई खबर नही लिखी और यह बात बार बार कहता हूँ कि बेरोजगारी की आग में युवाओं को गुमराह किया जा रहा है. ये गुमराह नौजवान हिंदू भी हैं और मुसलमान भी. 9 अगस्त 1997 को मेरी एक रपट दैनिक जागरण में छपी- आईएसआई की आकांक्षाओं के अनुरूप पूर्वांचल में शुरू हुआ हिंसा का तांडव इस रिपोर्ट मे यह बात साफ है कि आईएसआई ने अपने हित में यहाँ की ऊर्जा को गलत दिशा दी है. सच तो यह है कि जो चीज एक दशक पहले सार्वजनिक हो गयी उसे भी नजरंदाज कर दिया गया. सियासत के लिये सिर्फ रणनीति बनती और बिगडती रही. कभी किसी ने यह फिक्र नही की कि आखिर आज़मगढ़ जहाँ से दुनिया को यह संदेश गया कि भागो नही दुनिया को बदलो वही के नौजवान दुनिया की शक्ल बिगाड रहे हैं.


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