13 जुल॰ 2008

उजाले अपनी यादों के


उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,

न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए।

कोमल भाई और वेद भाई को श्रद्धांजली।

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