दीक्षा
चुप रहना बेहद खतरनाक है। दीक्षा एक ऐसा मंच है जहाँ चुप्पी टूटती है।
3 मार्च 2008
बंदगी से नही मिलती
बंदगी से नही मिलती
इस तरह जिन्दगी नही मिलती
छीनने से तख्त और ताज मिलते हैं
मांगने से भीख भी नही मिलती । फिराक ने यह बात १९२२ में कही और यह आज भी प्रासंगिक है।
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